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________________ हिन्दी के नाटककार पर 'क्रान्ति'-'क्रान्ति' की पुकार है। 'स्वराज्य'-'स्वराज्य' की गूंज है। शिवाजी कहता है, "मेरे शेष जीवन की एक मात्र साधना होगी, भारतवर्ष को स्वतन्त्र करना, दरिद्रता की जड़ खोदना, ऊँच-नीच की भावना और धार्मिक तथा सामाजिक असहिष्णुता का अंत करना सामाजिक तथा राजनीतिक दोनों प्रकार की क्रान्ति करना।” ___ 'स्वप्न-भंग' में दारा कहता है, “मैं धनी-निर्धन विद्वान्-प्रविद्वान्, और छोटे-बड़े का भेद मिटाना चाहता हूँ कि संसार एक मजदूर के पुत्र की मृत्यु का दुःख भी उतना ही अनुभव करे, जितना कि वह शाहजहाँ की पत्नी की मृत्यु का करता है।" दारा के ये शब्द एक समाजवादी विचारों के युवक के ही जान पड़ते हैं। ___ वर्तमान का चित्रण सबसे अधिक हमें 'उद्धार' में मिलता है। "स्वतन्त्रता प्रत्येक व्यक्ति का जन्म-सिद्ध अधिकार है।" 'जिस' शासन में जनता की आवाज नहीं सुनी जाती, 'उसके' नियमों को भंग करना जनता का कर्तव्य हो जाता है।" "हमें किसी व्यक्ति, देश या संस्कृति के विरुद्ध भावना नहीं भरनी चाहिए।"--ये पंक्तियाँ गांधीजी के विचारों की ही प्रतिध्वनियाँ हैं। 'उद्धार' में सामाजिक आन्दोलनों का भी स्पष्ट प्रभाव है। विधवा-विवाह आर्यसमाज के प्रचार का विशेष अंग था। इस युग में विधवा-विवाह बुरा भी नहीं समझा जाता। इसी विधवा-विवाह का समर्थन हमीर के शब्दों में देखिये, "दुधमुही बच्चियों का विवाह कर देना और उनके विधवा हो जाने पर उन्हें सभी सुखों से वंचित रखना, इसे तुम समाज की मर्यादा कहती हो ? नहीं कमला, यह घोर अत्याचार है। हमें समाज के पाखण्डों के विरुद्ध विद्रोह करना है।" वर्तमान युग में धर्म-सम्बन्धी विचारों में भी बहुत परिवर्तन हुआ है। इन विचारों का आभास 'शिवा-साधना' में समर्थ गुरु रामदास के उपदेशों में देखा जा सकता है : "केवल करताल और मृदंग-ध्वनि से भूखे राष्ट्र का पेट नहीं भरा करता, केवल तुलसी की माला से शान्ति प्राप्त नहीं होती। देश की आर्थिक स्थिति सुधारना सर्वप्रथम कर्तव्य है और वह तब तक नहीं सुधरती जब तक देश पराधीन---परतंत्र है।" प्रजातंत्रीय विचार भी बहुत-से नाटकों में बिखरे मिलते हैं। ऊँच नीच की भावना का तिरस्कार, मानव-समानता, कृषक-मजूरों के प्रति प्रेम भी जहाँ-तहाँ पाया जाता है।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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