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________________ १३२ हिन्दी के नाटककार हमारा काम भाई के गले पर छुरी चलाना नहीं; भाई को गले लगाना है, भाई को ही नहीं दुश्मन का भी गले लगाना है ।" हुमायूँ के यह शब्द एक उदारमना, सच्चे मानव के भावोद्गार हैं । ‘शिवा-साधना' के शिवाजी भी अपने गुणों के कारण आदर्श चरित्रवान, पर-धर्म-सहिष्णु और धीर वीर- गम्भीर व्यक्ति हैं, उन्हें न रूप की चकाचौंध आकर्षित करती है न सौन्दर्य-भोग की कामना पथ-भ्रष्ट । मौलाना अहमद की पुत्र-वधू को देखकर वह कहते हैं, "तुम्हारे रूप की चकाचौंध से मेरी आँखों ने नया प्रकाश पाया है । कितना भला कितना दिव्य ! यह सौन्दर्य तो पूजने की वस्तु है माँ ! उसको भौतिक रूप तो मोहित करता ही नहीं, रामसिंह के द्वारा दिया गया राजनीतिक प्रलोभन भी नहीं डिगा सकता । नैतिकता शिवाजी के जीवन की परम आस्था है, "नेता मृत्यु के बाद भी देश का नेतृत्व करता है, किन्तु उसका नैतिक पतन उसके ग्रान्दोलन का सर्वनाश कर देता है । नैतिक पतन के आगे मृत्यु की कोई हस्ती नहीं ।" वीरता, निर्भयता, शौर्य, धीरता, चातुरी, नेतृत्व को शक्ति श्रादि गुणों से पूर्ण 'उद्धार' का नायक हमीर भी है । उसके चरित्र में लेखक के वर्तमान विचारों का भी प्रभाव स्पष्ट है । 'विधवा-विवाह' का व्यावहारिक समर्थन उसके चरित्र में नया रंग है । मुन्ज का सिर काट लाना, कमला से विवाद, चित्तौड़ का उद्धार उसके उदात्त गुणों का परिचायक है । नैतिक आदर्शों का अपने चरित्रों में लेखक ने इतना अधिक ध्यान रखा है कि नाटक में नैतिकता के उपदेश देने वाले पात्रों का निर्माण किया हैचरित्रों पर पहरेदार बैठा दिए हैं । 'शिवा साधना' में गुरु रामदास, 'रक्षाबंधन' में शाह शेख औलिया, 'उद्दार' में सुधीरा नीति-धर्म और सच्चरित्रता का प्रत्यक्ष उपदेश देते पाए जाते हैं । 'स्वप्न भंग' में परोक्ष रूप से पीर मियाँ मीर द्वारा के पथ-प्रदर्शक हैं । नायकों के समान नायिकाएं भी श्रादर्श नारी हैं। कर्मवती, वीरांगना, निर्भय, श्रात्म-त्यागी, दूरदर्शी, उच्च-कलोत्पन्न क्षत्राणी है । मानवीय त्रुटियाँ उसमें नहीं है । 'उद्धार' की कमला भी मुग्ध, देश-भक्त, दूरदर्शी, सरल चित्त वीर नारी है। 'स्वप्न भंग' की नादिरा आदर्श पत्नी हैं। सीता के समान अपने पति दारा के सुख-दुःख में साथ देने वाली । उदारमना, सहिष्णु, सेवा परायण, एकनिष्ठ- सभी कुछ है । किरणमयी ('मित्र' में) भी कर्मवती की ही प्रतिछाया है। विश्व विश्रुत क्षत्रिय-नारी के सभी गुणों से युक्त ।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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