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________________ हिन्दी के नाटककार दृश्य भी अपूर्व है । बहादुरसिंह उदयसिंह की बलि देना चाहता है और उसी का दिया ताबीज उदय के प्राण बचाता है। ___'अंगूर की बेटी' में भी यह नाटकीय तत्त्व पर्याप्त मात्रा में हैं। पहले अङ्क का तीसरा दृश्य रंगमंच की दृष्टि से बहुत अच्छा है। रायल होटल में माधव का कमरा-माधव प्रतिभा का परिचय मोहनदास और विन्दु से कराता है। प्रतिभा को एक पर्दै के पीछे छिपा रखता है और एक-दो-तीन कहकर ताली बजाते हुए पर्दे की डोरी पैर से खींचता है। पर्दा हटता है, प्रतिभा नाचती-गाती सामने आती है। दर्शकों के लिए, ऐसे दृश्य अत्यन्त आकर्षण के कारण होते हैं। दूसरे अंक का दूसरा दृश्य भी अत्यन्त रोमांचकारी और कौतूहल-वर्धक है। मोहनदास और माधव में हाथापाई होती है, पिस्तौल तन जाता है। नाटकीय दृष्टि से यह दृश्य भी बहुत तीव्र गतिवान और कार्य-व्यापार पूर्ण है। ____ 'अन्तःपुर का छिद्र' में नाटकीय तत्त्व की कमी नहीं। प्राकस्मिकता, कौतूहल, अप्रत्याशित घटनाओं का इसमें पर्याप्त समावेश है । उदयन का वीणा बजाना और पद्मावती का नृत्य-चंचल चरणों से दर्शकों के सामने आना, मागंधिनी द्वारा वीणा में सर्प रखना, सर्प का बाहर श्राकर उदयन द्वारा बजाई जाती वीणा सुनना, मागंधिनी का सर्प द्वारा काटा जाना, अमिताभ का सहसा उदयन का वाण लिये प्रविष्ट होना नाटकीय घटनाएं हैं। कौतूहल का सृजन और उसकी शांति भी अभिनय के लिए आवश्यक है। पन्तजी कौतूहल उत्पन्न करने में पटु हैं । कौतूहल जनक गाँठ कथानक या चरित्रों में लगाना और अन्त में उसे खोलना, अभिनय में चार चाँद लगा देता है। इनके सभी नाटकों में कौतूहलपरक ऐसी ग्रन्थियाँ मिलेगी। 'राज-मुकुट' में उदय सिंह बहुत समय तक पन्ना का लड़का चन्दन बना रहता है । 'अंगूर की बेटी' में पात्रों में यह भूल बहुत ही कौतूहलवर्धक है । कामिनी की जलकर मृत्यु हो गई, ऐसा समझ लिया जाता है। विन्दु का प्रेम विनोद से हो गया है, यह भ्रम विनायक को विन्दु से नाराज रखता है । अन्त में भेद खुलता है कि विनोद और कामिनी एक ही हैं, तो विलक्षण अद्भुत रस की अनुभूति होती है-कौतूहल की शांति हो जाती है। 'अतःपुर का छिद्र' में मागंधिनी की मृत्यु से मालूम होता है कि सर्प उप्ती ने रखा था वीणा में तो उदयन का भ्रम दूर हो जाता है। 'वरमाला' के अन्त में भी वैशालिनी का अवीक्षित पहचान लेता है। ऐसे नाटकीय रहस्य पन्त जी के प्रायः सभी नाटकों में है।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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