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________________ १०६ हिन्दी के नाटककार पन्त जी के नाटकों के नारी-पात्रों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-एक तो कोमल और दूसरे कठोर । कोमल या सुकुमार हृदय की नारी हैं वैशालिनी, विन्दु, कामिनो, पद्मा; और कठोर हृदय की शीतल सेनी तथा मागंधिनी । कोमल नारी भारतीय नारीत्व के सभी आदर्श गुणों से पूर्ण है । प्रेम, ममता, दया, एकनिष्ठता, पतिपरायणता, आत्म-समर्पण, निष्काम भावना, सेवा, त्याग और करुणा की वह पावन प्रतिमा है। कठोर नारी विनाश, ईर्ष्या, द्वेष, प्रतिशोध, महत्त्वाकांक्षा, निर्दयता, षड्यन्त्रकारी, बुद्धि, छल-कपट, धूर्तता आदि वृत्तियों से धहकती हुई है । सुकुमारता नारीत्र का एक पहलू है और कठोरता दूसरा पहलू । दोनों ही पन्तजी के नारी चरित्रों में मिलेंगे । कोमल नारी शीतल , मृदुल, मन्द प्रवाह में बहने वाली नदी है और कठोर नारी तीव्र गति, प्राणवान, बाद में उबलती सशक्त प्रवाह में दौड़ती नदी। वैशालिनी अवीक्षित के प्रति कितनी उपेक्षापूर्ण है, उससे घृणा तक करती है, पर जब नक अवीक्षित पर आक्रमण करता है, तो उसका सजग नारीत्व शिथिल नहीं रहता, वह तुरन्त करुणा में पिघलकर और वीर भाव से उत्साहित होकर नक्र का एक तीर से वध कर डालती है और जब वैशालिनी के पिता की सेना उस पर आक्रमण करती है, तो उसकी दया प्रेम में बदल जाती है । वैशालिनी अपने शब्दों में ही जैसे प्रेम और दया की परिभाषा कर देती है, “नारी जिसे प्यार करती है, उस पर दया भी करती है। जिस पर दया करती है, उसे प्यार भी करती है।" वैशालिनी के चरित्र में एकनिष्ठता और प्रात्म-समर्पण की भावना पराकाष्ठा तक पहुँची हुई है। उसमें वे सभी गुण हैं, जो भारतीय पौराणिक नारी में रहे हैं । न अवीक्षित को घृणा से उसे सन्ताप है, न उसकी उपेक्षा से अपमान की भावना उसमें जगती है। न वह अपने पथ से डॉवाढोल होती है और न उसके चरित्र में कोई प्रतिक्रिया ही उत्पन्न होती है। वह अपनी दासी से कहती है, “यदि इस जीवन में उसे न पा सकूँगी तो उसकी पाषाण-प्रतिमा का ही आजन्म पूजन करूंगी।" इन शब्दों में जैसे उसने नारीत्व की व्याख्या कर दी है। 'अंगूर की बेटी' की विन्दु और कामिनी भी इसी कोटि की हैं। बिन्दु के यह गुण यद्यपि उसके चरित्र से प्रकट नहीं होते तो भी वह विनायक की एकनिष्ठ प्रेमिका और पत्नी है । कामिनी के चरित्र से तो स्पष्ट ही है। उसे उसका पति मोहनदास पीटता और कष्ट देता है, तो भी वह अनिष्ट नहीं
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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