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________________ छठा अध्याय ] धर्मनीतिसिद्ध कर्म । ३६९ असवर्णविवाह माना जाकर नाजायज होगा? और कोई कायस्थ अगर अपने भानजेको (अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्यके लिए निषिद्ध पात्रको) गोद ले, तो वह दत्तक कानूनकी रूसे जायज होगा या नाजायज ?-इन प्रश्नोंका उत्तर देना सहज नहीं है । जनेऊके लिए उद्योग करनेवाले कायस्थ महाशयोंको इन प्रश्नोंपर लक्ष्य रखना चाहिए, और विचार करना चाहिए। ७ विलायतसे लौटे हुए लोगोंको समाजमें लेना । इंग्लैंडके साथ भारतका जैसा घनिष्ट सम्बन्ध है, और वर्तमान समयमें लोगोंके जैसे अनेक प्रकारके प्रयोजन हैं, उनपर दृष्टि रखनेसे अनायास ही स्पष्ट समझ पड़ता है कि इस समय हिन्दुओंके विलायत और अन्यान्य दूर देशों में जानेकी आवश्यकता है। अतएव विलायत या वैसे ही किसी और दूरदेशसे लौट हुए हिन्दूको समाजमें न लेनेका फल यह होगा कि हिन्दूसमाज दिन दिन क्षीण होता चला जायगा । इस बातको सभी समझते हैं, और इसे समझनेके कारण ही अनेक लोग विलायतसे लौटे हुए आदमियोंको बिना किसी बाधाके समाजमें लेने के लिए तैयार हैं, और आवश्यक होने पर वैसा करते भी हैं। कोई कोई समाजकी मर्यादा बनाये रखनेके लिए पहले उनसे प्रायश्चित्त करा डालते हैं और फिर उनको समाजमें मिला लेते हैं। किन्तु अभी ऐसे लोगोंकी संख्या अधिक ह जो इस कामको हिन्दूधर्मविरुद्ध कह कर विलायतसे लौटे हुए लोगोंको किसी तरह समाजमें लेनेके लिए राजी नहीं होते। वास्तवमें अभक्ष्य-भक्षण करनेवाला आदमी हिन्दूधर्मके अनुसार पतित हो जाता है। अतएव अगर विलायतसे लौटे हुए लोगोंको सर्व. वादिसम्मत-रूपसे हिन्दूसमाजमें लेना है, तो यह आवश्यक है कि वे लोग जब तक विदेशमें रहें तबतक कोई ऐसी चीज न खायें-पियें जिसे खाना-पीना हिन्दूसमाज या हिन्दूशास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। अगर यह बात सहज और संगत हो, तो जो सब विलायतयात्री हिन्दू हिन्दू रहना चाहते हैं और यह इच्छा रखते हैं कि उन्हें हिन्दू समाज अपने में मिला ले, उन्हें इसी नियमसे विदेशमें खान-पानका प्रबन्ध करके रहना चाहिए। ऐसा होनेसे सब झगड़ा मिट जायगा। अतएव पहले यही बात विवेचनीय है कि पूर्वोक्त नियमसे विदेशमें रहना सहज और संगत है कि नहीं। ज्ञा०-२४
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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