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________________ छठा अध्याय] धर्मनीतिसिद्ध कर्म । काम्य उपासना। स्थलविशेष और समयविशेषमें काम्य उपासना ईश्वरके प्रति मनुष्यका और एक कर्तव्य है। पहले कहा जा चुका है कि ईश्वरके निकट 'यह चाहिए वह चाहिए' कहकर प्रार्थना करना अकर्तव्य है, तो फिर काम्य उपासना कैसे कर्तव्य हो सकती है ?-इस प्रश्नके उत्तरमें यह कहा जा सकता है कि हम जब किसी विपत्तिमें पड़ते हैं, या किसी कठिन कर्तव्यके पालनमें प्रवृत्त होते हैं, तब, जिनकी असीम शक्ति हमारे सभी कर्मोंका सञ्चालन करती है उन्हें एकाग्रताके साथ स्मरण करनेसे, हमारे मनमें जो अपनी असमर्थताका बोध है वह दूर हो जाता है, और मनमें अपूर्व उत्साह और उद्यमका सञ्चार होता है। __मूर्तिपूजा और देवदेवियोंकी पूजा। ___ कोई कोई कहते हैं कि मूर्तिपूजा और देवदेवियों की पूजाका निवारण करना भी ईश्वरके प्रति मनुष्यका एक विशेष कर्तव्य है। कारण ईश्वर निराकार और अनन्त है, एक और अद्वितीय है, उसे साकार और ससीम मूर्तियुक्त समझनेसे, और उसके साथ ही अनेक देवदेवियोंकी पूजा करनेसे,उसका अपमान किया जाता है। अगर कोई ईश्वरका पूर्ण और सर्वव्यापी होना अस्वीकार करके यह कहे कि वे केवल मूर्तिविशेषमें स्थित हैं, अथवा उनके समान या उनसे अलग समझकर अन्य देवदेवियोंकी पूजा करे, तो उसका वह कार्य अवश्य ही निन्दित है। किन्तु ऐसा कार्य बहुत ही कम लोग करते हैं। जो लोग मूर्तिपूजा या अनेक देवदेवियोंकी पूजा करते हैं, वे यह बात कहते हैं कि निराकार ईश्वरमें मनका लगाना कठिन या असंभव है, और ईश्वर जब सर्वव्यापी हैं तो वे मूर्तिविशेषमें भी हैं, यही सोचकर उस मूर्ति में उन्हींकी पूजा की जाती है और देवदेवियोंको उन्हींकी भिन्न भिन्न शक्तियोंका प्रतिरूप समझ कर देवदेवियोंमें भी उसी अनन्त शक्तिकी पूजा की जाती है। ऐसा कार्य, निर्दोष भले ही न हो, निन्दित नहीं कहा जा सकता, खास कर उस हालतमें जब देखा जाता है कि जो लोग मूर्तिपूजाके विरोधी हैं उन्हींमेंसे अनेक लोग ईश्वरको व्यक्तिभावविशिष्ट समझते हैं। २ मनुष्यके प्रति मनुष्यके धर्मनीतिसिद्ध कर्म । मनुष्यके प्रति मनुष्यका धर्मनीतिसिद्ध पहला कर्तव्य परस्पर एक दूसरेके धर्म पर यथायोग्य श्रद्धाका भाव दिखाना है।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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