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________________ २२६ ज्ञान और कर्म। [द्वितीय भाग इतनी बातें केवल इसी आशासे मैंने कही हैं कि इन्हें स्मरण रखकर पाठकगण थोड़ी अवस्थामें होनेवाले विवाहके अनुकूल भी जो कुछ वक्तव्य है उस पर ध्यान देंगे । किन्तु सबके पहले ही कह देना उचित है कि कुछ दिन पहले इस देशमें ( यहाँ लेखकका मतलब केवल बंगदेशसे है ) समय समय पर जैसे बाल्यविवाहके दृष्टान्त देखे जाते थे (जैसे पाँच छः वर्षकी बालिकाके साथ दस बारह वर्षके बालकका विवाह ) उनका अनुमोदन मैं नहीं करता, इस समय कोई भी नहीं करता, और जिस समय वैसे बाल्यविवाह कुछ कुछ प्रचलित थे उस समय भी शायद लोग केवल प्रयोजनके अनुरोधसे उस तरहके विवाह करते थे, इसके सिवा उनका अनु. मोदन कोई भी नहीं करता था। मैं जिस तरहके बाल्यविवाहके अनुकूल कुछ वक्तव्य बता रहा हूँ वह उस तरहका बाल्यविवाह नहीं है, उसे थोड़ी अवस्थाका विवाह कहना उचित होगा। वह थोड़ी अवस्था कन्याके लिए बारहसे चौदह वर्ष तक और वरके लिए सोलहसे अठारह वर्षतक समझनी चाहिए। ऐसे विवाहको भी बाल्यविवाह कह सकते हैं । लेकिन बाल्यविवाह न कह कर उसको थोड़ी अवस्थाका विवाह कहना ही अच्छा होगा । स्त्रीकी चौदह वर्षकी अवस्थाके बाद और पुरुषकी अठारह वर्षकी अवस्थाके बाद होनेवाले विवाहको बाल्यविवाह कह कर कोई दोष नहीं देता, और यह भी नहीं है कि वैसा विवाह भारतके लौकिक विवाहके आईन द्वारा अनुमोदित न हो। रजोदर्शन अगर न हुआ हो, तो कन्याका बारह वर्षकी अवस्थामें विवाह हिन्दूशास्त्रमतके विरुद्ध नहीं कहा जासकता। मनुजी कहते हैंत्रिंशद्वर्षों वहेत्कन्यां हृद्यां द्वादशवार्षिकीम् । (अ० ९ श्लोक ९४) अर्थात् तीस वर्षकी अवस्थाका पुरुष बारहवर्षकी रूपवती कन्याका पाणिग्रहण करे । थोड़ी अवस्थाके विवाहके अनुकूल युक्तियाँ । उपर्युक्त प्रकारके थोड़ी अवस्थाके विवाहके प्रतिकूल पहले कहीगई युक्तियोंके साथ-साथ जो कई एक अनुकूल युक्तियाँ हैं, वे भी संक्षेपमें नीचे लिखी जाती हैं:
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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