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________________ छठा अध्याय ] ज्ञान-लाभके उपाय । सकती है। जैसे, परीक्षार्थी दर्शकके सामने किसी खास रंगसे रँगे हुए एक ताशके टुकड़ेको एक तख्तेमें लगाकर, बीचमें बिजलीके चुंबकसे खींचे हुए ऐसे लौहफलकको, जिसमें छोटासा छेद हो, लगाकर, चुंबकके साथ जो बिजलीके तारका संयोग है उसे विच्छिन्न कर लो, तो वह लौहफलक उसी दम गिर पड़ेगा। और, गिरते गिरते जितनी देर उस लौहफलकका छेद ताशके टुकड़ेके सामने रहेगा उतनी ही देर तक देखनेवाला उस ताशके टुकडेको देख पावेगा। उस अत्यन्त अल्प समयका परिमाण जो होगा सो उस लौहफलककी नीचेकी गतिके परिमाण और छेदके घेरेके परिमाणसे गणित द्वारा निश्चित किया जा सकता है। और, छेदके घेरेके घटने-बढ़नेके द्वारा उस समयका परिमाण भी इच्छानुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है । ऐसा देखा गया है कि वह समय .००५ सेकिंडसे भी कम हुआ तो कोई भी देखनेवाला उस रंगीन ताशके टुकड़ेको नहीं देख पाता (१)। सुननेके बारेमें परीक्षा और भी सहज है। एक घड़ीके पाससे परीक्षार्थी श्रोताको क्रम क्रमसे दूर हटनेको कहो, और देखो कि कितनी दूर तक जाकर वह घड़ीके शब्दको सुन पाता है और उसे गिन सकता है। उस दूरीका परिमाण ही उस पुरुषकी श्रवणशक्तिकी तीक्ष्णताका प्रमाण है। कसरतके सम्बन्धमें यह भी याद रखना चाहिए कि कसरत नियमित हो, इच्छानुसार हो, स्वास्थ्यवर्द्धक हो और उधर कार्यकारिणी भी हो। कसरतमें यदि नियमका अधिक बन्धन होता है तो वह कष्ट और अनिष्टका कारण हो जाती है। और, स्वास्थ्यके लिए नियमित कसरतके समय तो तेजीसे दौड़ सको, मगर काम पड़ने पर प्रयोजनके समय दो पग भी न चल सको, ऐसी व्यायामशिक्षा निष्फल है। निद्रा और विश्राम अत्यन्त प्रयोजनीय हैं। किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि उनकी मात्रा सबके लिए और सब समय समान हो। थोड़ी अवस्थामें अधिक निद्राका प्रयोजन है। बालक सहज ही सो जाते हैं और बहुत देर तक सोते हैं। परीक्षासे जाना गया है कि अनिद्राका फल देह और मन दोनोंके (१) Dr. Scripture's New Psychology, Ch. VI देखो।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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