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________________ दिगम्बर जैन साधु poe मुनिश्री वृषभसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य ¤ ऐलक श्री वीरसागरजी XXX ऐलकश्री वीरसागरजी महाराज ५३५ आपका गृहस्थावस्था का नाम सिद्धगौड़ाजी पाटील था । आपका जन्म आज से ५० वर्ष पूर्व सन् १९२४ में सिरगुर ( बेलगांव ) मैसूर में हुआ | आपके पिता का नाम रामगौड़ाजी पाटील था । जो कृषि कार्य करते थे । आपकी माता का नाम बालाबाई था । आप चतुर्थ जाति के भूषण हैं । आपका गोत्र पाटील है । आपकी लौकिक एवं धार्मिक शिक्षा ५ वीं तक हुई । श्रापका विवाह कृष्णबाई पाटील जैन से हुआ | आपके परिवार में एक भाई एवं दो बहिने तथा एक पुत्र व दो पुत्रियां हैं । पांच बच्चों के स्वर्गवास से एवं स्वाध्याय व मुनि उपदेश से प्रापके मानस में वैराग्य धारा बंही । इसलिये चैत्र शुक्ला तेरस सन् १९६७ को बड़वानी में मुनिश्री १०८ वृषभसागरजी से क्षुल्लक दीक्षा ले ली तथा बाद में बड़ौत में ऐलक दीक्षा भी मुनि वृषभसागरजी से ली । आपने दिल्ली, बड़ौत, चिपकोड़ा आदि स्थानों पर चातुर्मास किये । आपने गृहस्थावस्था में दुष्काल के कारण एक साथ १७ उपवास किये । आपने नमक, शक्कर, हल्दी का त्याग कर रखा है ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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