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________________ REARRRRRRRIER ५३४ ] दिगम्बर जैन साधु EPAREDAMAMMEHADISASTERDAMA DARAMAMEILAREDERAMBLEMERIME-DROEN मुनि श्री शांतिसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य ECORRESTEDLERSIDEREN ASS क्षुल्लक श्री कुलभूषणजी CUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUU-UULD क्षुल्लक श्री कुलभूषणजी महाराज . जन्म नाम-श्री प्रेमचन्दजी जन्म स्थान—करनावल जिला-मेरठ (यू० पी०) गुरु का नाम-श्री शान्तिसागरजी महाराज क्षुल्लक दीक्षा तिथि-१५ मार्च १९८१, रविवार फाल्गुन सुदी दशमी सं० २०३७ । पिता का नाम-स्वर्गीय डालचन्दजी जैन माताजी का नाम-हुक्मदेवी जैन आपका जन्म-सावण सुदी सप्तमी सम्वत् १९९६ में हुआ । दुर्भाग्यवश जब आपकी आयु ३ वर्ष की थी। तभी से इनके सिर से पितृ प्रेम का प्रभाव हो गया। आपकी माताजी ने आपका पालन-पोषण किया। आपके अन्दर धर्म भावना को कूट-कूट कर भर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि आप १६ वर्ष की आयु से ही धर्म में लीन रहने लगे । आपकी शादी भी हो गई थी फिर भी आप संसार से विरक्त रहते थे। आपने प्राचार्य श्री शिवसागरजी महाराज से भादवा बदी १५ जयपुर में दूसरी प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए और पश्चात् सम्वत् २०२५ में प्राचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से सातवी प्रतिमा के व्रत धारण किए। तत्पश्चात् आप धर्म कार्य में अग्रसर ही होते चले आए अपने व्रतों को कठोरता से पालन करते रहे । आपके दो भाई श्री सुलेखचन्द जैन व रूपचन्द जैन एवं दो बहिने श्रीमति कमलादेवी व जयमालादेवी हैं । आपने प्रवचनों के माध्यम से जैन समाज में बहुत जागृति पैदा की। आपके व्याख्यान मुख्यतया निस्परिग्रहता और वीतरागता के विषय में होते हैं । आप कई नगरों का भ्रमण कर धर्म प्रभावना कर रहे हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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