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________________ (... ४०४ ] दिगम्बर जैन साधु आर्यिका सरस्वतीमतीजी आप श्राचार्य विमलसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित हैं । श्रापका विशेष परिचय प्राय है। ¤¤¤ Xxx क्षुल्लिका शान्तिमती माताजी श्री १०५ क्षुल्लिका शान्तिमतीजी का पहले का नाम सुमनबाई था । आपका जन्म आज से लगभग ३० वर्ष पूर्व कोल्हापुर नामक नगर में हुआ था । आपके पिता का नाम बापू है, आपकी माता का नाम सोनाबाई है । आप जाति से पंचम हैं । आपके परिवार में एक भाई है । आपकी लौकिक शिक्षा कक्षा पांचवीं तक हुई । आपका विवाह हुआ और विवाह के एक वर्ष बाद ही दुर्भाग्य आपको आ घेरा । पति वियोग जैसी विषम विपत्ति को आपने धैर्यपूर्वक सहा । आपके नगर में जब मुनि-संघ आया तब उनके उपदेशों से आपके परिणामों में विशुद्धता आई | अतएव आपने दीक्षा लेने की बात विचारी और फिर डिप्टीगंज दिल्ली में दीक्षा ली । आपकी दीक्षा तिथी वीर निर्वाण सं० २४९५ है । आपके दीक्षा गुरु श्री आचार्य १०८ विमलसागरजी हैं । आपने भक्तामर, छहढाला श्रादि का विशेषतया अध्ययन किया । आपका प्रथम चातुर्मास दिल्ली में. ही हुआ था | आपने तेल और नमक का त्याग कर दिया है । *
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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