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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ४०५ क्षुल्लिका संयममती माताजी आपका जन्म ग्राम निवारी ( भिण्ड म०प्र० ) में संवत १९८६ माघ सुदी १४ को हुवा था। आपने पू० आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से सुजानगढ़ राजस्थान में सम्वत २०२५ कार्तिक सुंदी १५ को क्षुल्लिका दीक्षा धारण की । अद्यप्रभृति आत्म कल्याण कर रही हैं। क्षल्लिका चेलनामती माताजी पू० माताजी का जन्म गढ़ी (हसनपुर) जि० मुजफ्फर नगर में श्री प्रकाशचन्द्रजी के यहां सन् १९२८ में हुवा था । आपकी शिक्षा सामान्य ही रही। आपने पू० आचार्य विमलसागरजी से क्षुल्लिका दीक्षा तीर्थराज सम्मेदशिखरजी में ली। आपका स्वभाव सरल है तथा आपकी बचपन से ही धार्मिकता की ओर रुचि रही यही कारण है जो आप दीक्षा लेकर आत्म कल्याण के पथ में अग्रसर हैं। क्षुल्लिका पद्मश्रीजी आपके पिता का नाम श्री पूनमचन्दजी एवं माता का श्रीमती रूपीवाई था। आपका जन्म स्थान पारसोला (प्रतापगढ़ ) है । गृहस्थावस्था का नाम सीधार बाई था। आपके पति का नाम दीपचन्दजी था। आपके १ पुत्र भी हुआ था । आपने दूसरी प्रतिमा मुनि श्री शान्तिसागरजी से सातवीं प्रतिमा आचार्य महावीरकीतिजी से ग्रहण की । क्षुल्लिका दीक्षा आचार्य श्री विमलसागरजी से संवत् २०२४ फाल्गुन सुदी १५ को पारसोला में हुई । आपका सारा समय, वैयावृत्ति, जप, तप, स्वाध्याय में ही जाता है।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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