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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ३६७ क्षुल्लक मादिसागरजी महाराज श्री शीलचन्द्रजी जैन का जन्म सं० १९६९ में कार्तिक बदी बारस को फिरोजपुर छावनी में हुआ। आपके पिता श्री बाबू हीरालालजी अग्रवाल एवं माता मनभरीदेवी थी । आप जाति से अग्रवाल थे । आपका गोत्र मित्तल था। आपकी धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा सामान्य ही रहो । आपकी शादी भी हुई । आपके एक भाई व दो वहिनें हैं । आजीविका के लिए पिता एवं भाई सर्विस कर रहे हैं । आपके पूर्व जन्म के संस्कार होने से आपके भाव वैराग्य की ओर बढ़े । उसी समय छोटे भाई की मृत्यु हो जाने के कारण आपमें काफी उदासीनता आ गई । आपने शरीर को नश्वर जानकर सं० २०१८ में आसोज सुदी चौदस को मुनि श्री १०८ विमलसागरजी से लखनऊ में दीक्षा ले ली। आप प्रतिक्रमण एवं तत्वार्थसूत्र के ज्ञाता हैं। आपने लखनऊ, सीकर, हिंगूणियां, फुलेरा, रेवाड़ी आदि गांवों में चातुर्मास किये एवं मुनि श्री ज्ञानसागरजी के साथ मदनगंज-किशनगढ़, अजमेर, हरियाणा आदि स्थानों पर चातुर्मास किये। __ आपने रसों का त्याग किया एवं कर्मदहन के लिए जिनगुणसम्पत्ति एवं सोलहकारण का व्रत लिया। आपने तीर्थयात्रायें भी की। क्षुल्लक श्री समाधिसागरजी महाराज ___ आप आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित हैं, आपका विशेष परिचय अप्राप्य है ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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