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________________ ३६८ ] दिगम्बर जैन साधु प्रायिका विजयमती माताजी .. : ahuretiri a श्री १०५ आर्यिका विजयमतीजी . का गृहस्थावस्था का नाम शान्तिदेवी था। . आपका जन्म वैशाख सुदी १२ विक्रम संवत १८८५ में कामा (भरतपुर) में हुआ था । आपके पिता का नाम श्री संतोषीलालजी व माताजी का नाम चिरोंजीवाई था । आप खण्डेलवाल जाति की भूषण हैं । आपकी धार्मिक तथा लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई । आपका विवाह श्री . भगवानदासजी वी० ए० लश्कर वालों के साथ हुआ । परन्तु दुर्भाग्य से आपको वैधव्य प्राप्त हुआ। परिवार में आपके पांच भाई व तीन बहिनें हैं। . संसार की नश्वरता को जानकर आपमें वैराग्य प्रवृत्ति जागृत हुई एवं आपने आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज की प्रेरणा से आगरा सन् १९५७ में आयिका दीक्षा ली। आपने कई स्थानों पर चातुर्मास कर धर्म वृद्धि की ।' प्रापिका गोम्मटमती माताजी आपका जन्म स्थान पारसोला ( प्रतापगढ़ ) तथा जन्म नाम सीधराबाई था। विवाह': दीपचन्दजी से हुवा । एक पुत्र भी हुवा था । आपने दूसरी प्रतिमा आचार्य शान्तिसागरजी से धारण की थी । प्राचार्य महावीरकीतिजी से क्षुल्लिका के व्रत धारण किए तथा आचार्य विमलसागरजी से फरवरी सन् ८१ में आर्यिका के व्रतों को अंगीकार किया । आपका नाम गोम्मटमतीजी रखा है।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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