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________________ ३२६ ] दिगम्बर जैन साधु . . क्षुल्लक श्री प्रादिसागरजी महाराज आपका जन्म ई० सन् १८८६ में सिरस गांव तहसील एलिचपुर में हुवा था। इनका गृहस्थावस्था का नाम देवीदास था। इनके पिता का नाम श्री काशीनाथज़ी तथा माता का नाम श्रीमती बनावाई था। इनका जन्म विशुद्ध धार्मिक वेश में होने के कारण जन्म से ही धर्म की भावना घर कर गई थी। इनके पिता श्री काशीनाथजी ने मराठी भाषा में आदि पुराण की रचना की थी । आपको भी बचपन से धर्म के प्रति रुचि होने के कारण धार्मिक छंद एवं कवित्त आदि लिखने का शौक था । युवा अवस्था में तो आप जैन कवियों में श्रेष्ठ कवि माने जाने लगे थे । धार्मिक संस्कारों के कारण ६० वर्ष की आयु में आपको संसार से विरक्ति हो गई। आपने ई० सन् १९४६ में परम पू० १०८ श्री श्रुतसागरजी मुनिराज से सप्तम प्रतिमा धारण कर ली। तीन मास के पश्चात् ही आचार्य श्री १०८ श्री देशभूषणजी के पास पहुँचकर आपने क्षुल्लक दीक्षा धारण कर ली। आपने मराठी भाषा में पद्मपुराण की रचना की है जो मराठी भाषियों के लिये काफी हितकर सावित हुई है।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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