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________________ पृष्ठ सं० ४५४ ४५५ ४५७ ४२७ ४२८ ४२९ ४३० ४५७ ४५७ X29 ४५८ ४३१ ४५४ ४६० ४६० ४३२ ४३३ ४६० [ २२ ] पृष्ठ सं० मुनि श्री वर्द्धमानसागरजी द्वारा दीक्षित ४२७ मुनि पिहिताश्रवजी , नेमिसागरजी , वीरसागरजी , समन्तभद्रजी , अजितसागरजी , आदिसागरजी " श्रुतसागरजी मुनि नेमिसागरजी द्वारा दीक्षित मा० स्वर्णमतीजी " जम्बूसागरजी क्षु० चन्द्रमतीजी , आदिसागरजी मा० सन्मतिसागरजी द्वारा दीक्षित , सन्मतिसागरजी ४३२ मुनि महेन्द्रसागरजी । क्षु० पदमसागरजी , यजेन्द्रसागरजी , वद्धमानसागरजी श्री पार्श्वसागरजी ,, शान्तिसागरजी योगेन्द्रसागरजी , गुणभद्रजी ४३४ , वृषभसागरजी मुनि श्री महाबलजी द्वारा दीक्षित " गुणसागरजी । ऐलक जयभद्र जी , चारणसागरजी क्षु० गुरणभद्रजी मेघसागरजी ,, मणिभद्रजी गौतमसागरजी , विजयभद्रजी रयणसागरजी मुनि वजकीतिजी द्वारा दीक्षित , तीर्थसागरजी , धर्मकीतिजी , हेमसागरजी प्रा. शांतिसागरजी (छारणी) द्वारा दीक्षित ४४० , रविसागरजी मुनि ज्ञानसागरजी ऐलक भावसागरजी , आदिसागरजी क्षुल्लक वीरसागरजी , नेमिसागरजी " पूर्णसागरजी ,, वीरसागरजी , चन्द्र कीर्तिजी आचार्य सूर्यसागरजी , वीरसागरजी मा० प्रादिसागरजी द्वारा दीक्षित " समतासागरजी प्राचार्य महावीरकीर्तिजी प्रायिका विजयमतीजी मुनि वृषभसागरजी , नेमवतीजी ४६१ ४६२ ४६२ ४६२ ४३६ ४३७ ४३७ ४३८ ४३६ ४३६ ४६३ ४६३ ४६३ ४६४ ४६५ ४४१ ४६५ ४४४ ४६६ ४४५ ४६६ ४४७ ४६७ ૪૬ ४४६ ४५० ४६८ ४६६ ४६९ ४५३
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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