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________________ पृष्ठ सं० ४८९ ४८९ ४९० ४७० ४६ ४७१ ४६२ ૪૨ ४७२ ४६३ ४६३ ४६४ ४६४ ४७४ ४६५ [ २३ ] पृष्ठ सं० मायिका प्रजितमतीजी ४६६ मुनि विजयसागरजी क्षु० दर्शनमतीजी ४७० " आदिसागरजी , जिनमतीजी , वीरसागरजी , निर्मलमतोजी ॥ विनयसागरजी मुनि सुपार्श्वसागरजी द्वारा दीक्षित " शीतलसागरजी , सुबाहुसागरजी ४७१ " शम्भूसागरजी मुनि समन्तभद्रजी द्वारा दीक्षित " भरतसागरजी , आर्यनंदीजी ४७३ , अजितसागरजी " महाबलजी ४७४ क्षुल्लक सिद्धसागरजी प्रा० सुप्रभामतीजी " आनन्दसागरजी क्षु० जिनभद्रजी " कैलाशसागरजी मुनि श्री मुनेन्द्रसागरजी द्वारा दीक्षित ४७६ " गुणसागरजी " श्रुतसागरजी ४७६ , चन्द्रसागरजी प्रा० विमलसागरजी, भिण्ड द्वारा दीक्षित ४७७ ॥ सन्मतिसागरजी प्राचार्य निर्मलसागरजी ४७८ आर्यिका चन्द्रमतीजी " कुन्थुसागरजी " पार्वमतीजी मुनि सुमतिसागरजी " राजमतीजी ४८० , ज्ञानमतीजी , अजितसागरजी ४८२ , ज्ञानमतीजी ईडर ऐलक ज्ञानसागरजी क्षु० शुद्धमतीजी , सन्मतिसागरजी ॥ शान्तिमतीजी क्षु० धर्मसागरजी ४८३ क्षु० विद्यामतीजी मुनि श्री कुन्थुसागरजी द्वारा दीक्षित ४८४ मुनि निर्मलसागरजी द्वारा दीक्षित प्रा० शान्तिमतीजी ४८४ मुनि वद्ध मानसागरजी क्षु० सुशीलमतीजी ४८४ , शान्तिसागरजी मुनि श्री सुमतिसागरजी द्वारा दीक्षित , वीरभूषणजी , श्रेयांससागरजी ४८६ , निर्वाणसागरजी , पार्श्वसागरजी ४८७ , विवेकसागरजी , श्र तसागरजी , दर्शनसागरजी ४६५ ४६६ ४९७ ४७६ ४९७ ४९८ ४९८ ४९९ ४९९ ४८२ ४८२ ४९९ ५०० ५०१ ५०२
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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