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________________ क्षुल्लक धर्मसागरजी 13 37 37 " " " 31 नेमिसागरजी श्रादिसागरजी समाधिसागरजी 19 आर्यिका विजयमतीजी गोम्मटमतीजो श्रादिमतीजो जिनमतीजी नन्दामतीजी नंगमतीजी स्याद्वादमतीजी पार्श्वमतीजी ब्रह्ममतीजी निर्मल मतीजी सूर्यमतीजी शान्तिमतीजी सिद्धमतीजी 33 "" 31 39 39 " " "1 31 " " "} ا. "! " " 31 जिनेन्द्रवर्णीजी प्रबोधसागरजी विजय सागरजी 33 क्षुल्लिका शांतिमतीजो संयममतीजी चेलनामतीजी पद्मश्रीजी विशुद्धमतीजी वृपभसागरजी सुमतिसागरजी शान्तिसागरजी सरस्वतीमतीजी [ २१ ] पृष्ठ सं० ३६१ ३९१ ३६४ ३६४ ३९५ ३९५ ३९६ ३९६ ३९७ ३९७ ३६८ ३९८ ३९९ ३६६ ३९९ ४०० ४०० ४० १ ४०१ ४०२ ४०२ ४०३ ४०३ ४०४ ४०४ ४०५ ४०५ ४०५ ४०६ क्षुल्लिका कीर्तिमतीजी श्रीमती माताजी वीरमतीजी विमलमतीजी "1 मुनि श्रनन्तकोतिजी द्वारा दीक्षित जयकीर्तिजी क्षु० महावीरकीर्तिजी श्रा० जयकीर्तिजी द्वारा दीक्षित प्राचार्यं देशभूषणजी मुनि देवेन्द्रकी र्तिजी कुलभूषणजी 12 22 11 ४०९ ४१० ४११ ४१२ ४१४ ४१४ ४१५ ४१६ ४१७ ४१७ ४१८ ४१८ ४१८ क्षु० नेमसागरजी कीर्तिमतीजी ४१६ मुनि नेमसागरजी, दिल्ली द्वारा दीक्षित ४२० ४२१ क्षु० वर्द्धमानसागरजी श्रा० पायसागरजी द्वारा दीक्षित ४२२ ४२३ ४२४ ४२४ ४२५ ४२५ ४२६ "3 भायिका धर्ममतीजी प्रा० क० चंद्रसागरजी द्वारा दीक्षित श्रा० पावंमतीजी मुनि सिद्धसागरजी जयकीर्तिजी ज्ञानसागरजी " " در मुनि नेमसागरजी श्राचार्य श्रनन्तकी तिजी प्रा० चारित्रमतीजी क्षु० जयको तिजी चन्दनमतीजी पृष्ठ सं० ४०६ ४०६ ४०७ 17 ," राजमतीजी ४०७ ४०८
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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