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________________ [ २२५ दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री यतीन्द्रसागरजी महाराज . . श्री १०८ मुनि श्री यतीन्द्रसागरजी महाराज का . गृहस्थावस्था का नाम श्री देवीलालजी था। आपका जन्म उदयपुर में हुआ था। आपके पिता श्री मगनलालजी व : माता श्रीमती गेंदीबाई थी। आप चित्तौड़ा जाति एवं गुढ़ीया जाति के भूषण हैं । आपको धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई । आपके परिवार में दो भाई, चार बहिनें, चार पुत्र व चार पुत्रियां थीं। ग्यारह वर्ष की अवस्था से ही मुनियों की सत्संगति के कारण आपमें वैराग्य की भावना जागृत हुई। परिणामतः "fai कार्तिक शुक्ला ग्यारस, विक्रम संवत् २०२४ में उदयपुर में आचार्य श्री १०८ शिवसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा धारण कर ली । एक वर्ष बाद ही आपने विक्रम संवत् २०२५ में आचार्य धर्मसागरजी महाराज से शान्तिवीर नगर ( महावीर जी) में मुनिदीक्षा ग्रहण कर ली। आपको भक्तामर आदि संस्कृत स्तोत्रों का विशेष ज्ञान है । आपने प्रतापगढ़ आदि अनेक स्थानों पर चातुर्मास कर जिनवाणी की आशातीत प्रभावना कर जिनधर्म की काफी वृद्धि की। सोलह-सोलह दिनों के उपवास कर आप सोलहकारण व्रतों का पालन करते हुए अहर्निश ज्ञान, ध्यान, तपोरक्त की उक्ति को जीवन में साकार कर रहे हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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