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________________ [ २० } पृष्ठ पृष्ठ सं० ३४२ ३४७ ३७२ ६७२ ३४६ AM ५ ३७४ ३७५ ३५२ ३७५ ३५५ ३७६ ३५७ ३७७ ३७६ २८० ३८० प्राचार्य विमलसागरजी मुनि कुन्युसागरजी , नेमिसागरजी , सुधर्मसागरजी " वासुपूज्यनी है वद्धमानसागरजी आदिसागरजी सम्भवसागरजी " नमिसागरजी " आनन्दसागरजी क्षुल्लक आदिसागरजी नमिसागरजी सम्भवसागरजी नेमिसागरजो " चन्द्रसागरजी " शीतलसागरजी माथिका यांसमतीजी , वीरमतीजो , शीतलमत्तीजो " सुपार्वमतीजी झुल्लिका मादिमतीजी जिनमतीजी नेमिमतीजी है चन्द्रमतीजी श्रा० विमलसागरजी द्वारा दीक्षित , सन्मतिसागरजी मुनि वीरतागरजी , अनन्तसागरजी मुनि सुव्रतसागरजी , प्ररहतागरजी ., बाहुबलिसागरजी , सम्भवसागरजी , भरतसागरजी ,. पावसागरजी " उदयसागरजी " मतिसागरजी , पुष्पदन्तसागरजी " भूतबलीजी " सुधर्मसागरजी , प्रानन्दसागरजी पावकोतिजी , श्रवणसागरजो , बद्धमानसागरजी , समाधिसागरजी , पावसागरजी ऐलक चन्द्र सागरजी , कीतिसागरजी , विजयसागरजी , वृषभसागरजी क्षुल्लक अनेकान्तसागरजी " मतिसागरजी , चन्द्रसागरजी समतासागरजी रतनसागरजी नंगसागरजी उदयसागरजी ज्ञानसागरजी ३६१ ar. mmmmm ३५४ ३८५ ३६४ ३८६ ३६५ ३८६ ३८६ ३८७ ३ ३८६ ३८६
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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