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________________ २१२ ] दिगम्बर जैन साधु श्री १०८ मुनि संयमसागरजी महाराज ." . . SAN EA4 श्री १०८ मुनि संयमसागरजी महाराज का जन्म सं० १९७० में वूदी में हुआ था आपके पिता का नाम भवानीशंकरजी था । वह काश्तकारी का धंधा और व्यापार करते थे। संयमसागरजी बचपन से ही धर्म में रुचि रखते थे। उन्होंने संसार को असार जानकर सं० २०२३ में टोंक में क्षुल्लक दीक्षा एवं सं० २०२४ में वूदी में मुनिदीक्षा आचार्य श्री धर्मसागरजी से लो तथा नियमों के प्रति बहुत कठोर रहे और सव जीवों के उपकार की कामना करते रहे। जो मुनिराज सम्यग्ज्ञान रूपी अमृत को पीते रहते हैं । जो अपने पुण्यमय शरीर को क्षमारूपी जल से सींचते रहते हैं तथा जो संतोष रूपी छत्र को धारण करते रहते हैं, ऐसे मुनिराज कायक्लेश नामा तप करते हैं । अन्त में पारसोला ग्राम में दिनांक २-६-८३ को समाधिपूर्वक शरीर का त्याग किया। ७६ साधु आपकी समाधि के अवसर पर उपस्थित थे।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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