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________________ उपरोक्त विवरण द्वारा स्पष्ट होता है कि भारतीय दर्शन तथा पाश्चात्य-दर्शन में मुख्य प्रवृत्तियों को लेकर अन्तर है और इस कारण ये दोनो अलग अलग रूप मे संस्थापित हैं। भारतीय दर्शन की समान्य विशेषताएँ भारतीय दर्शन में दो प्रकार की विचारधाराएं हैं - (१) ब्राह्मण परम्परा की विचार धारा । (२) श्रमण परम्परा की विचाधारा। इसमे ब्राह्मण परम्परा की विचारधारा वेद परक है अतः इसे आस्तिक वर्ग की विचारधारा के नाम से जाना जाता है। और इसके विपरीत श्रमण परम्परा की विचारधारा वेद विरोधी है और इसे नास्तिक विचारधारा कहा जाता है। ये दोनों विचारधाराएँ एक दूसरे से भिन्न हैं तथा प्रत्येक सम्प्रदाय की अपनी-अपनी अलग-अलग मान्यताएँ हैं परन्तु इस भिन्नता में अभिन्नता, अनेकता में एकता, विषमता मे समता भारतीय दर्शन की विशेषता है। इन दोनों विधाओं का स्वरूप भले ही अलग हो किन्तु इनमें परस्पर विभिन्नता में एकता है। इस एकता को भारतीय दर्शन की मौलिक विशेषता भी कहते हैं। इस प्रकार भारत के विभिन्न दर्शनों में जो साम्य दिखाई पडता है उन्हें भारतीय दर्शन की समान्य विशेषताएँ कहा जाता है। ये विशेषताएँ भारतीय विचारधारा के स्वरूप को स्पष्ट करने में समर्थ है भारतीय दर्शन की इन सामान्य विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नवत् है। ___ भारतीय दर्शन की एक मुख्य विशेषता यह है कि यह आध्यात्मिक है और आध्यात्मिक प्रयोजन को सर्वोपरि महत्व दिया गया है। इस विशेषता के कारण ही प्रायः सभी भारतीय दर्शन विचारधाराओं में आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है। तथा साथ ही इसके स्वरूप को भी निर्धारित करने का प्रयास किया गया है। 'आत्मदीपाभव आत्मानं विद्धि' ये मंत्र अनादि काल से भारतीय विचारकों को 28
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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