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________________ विज्ञान, सौन्दर्य विज्ञान, आदि का विश्लेषण अलग-अलग किया गया है। पाश्चात्य दर्शन से विपरीत भारतीय-दर्शन मे संश्लेषणात्मक पद्धति को आपनाया गया है। संश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को अपनाने के परिणाम स्वरूप भारतीय दर्शन में प्रमाण विज्ञान, तर्क विज्ञान, नीतिशास्त्र, ईश्वर विज्ञान आदि का विवेचन एक साथ ही किया गया है। पश्चिमी दर्शन इहलोक की सत्ता में विश्वास करता है जबकि भारतीय-दर्शन इसके विरूद्ध परलोक की सत्ता मे विश्वास करता है। चार्वाक के अतिरिक्त भारतीय दर्शन में स्वर्ग और नरक की मीमांसा हुई है। जबकि पाश्चात्य दर्शन मे ऐसी कोई मान्यता नही है। पाश्चात्य एवं भरतीय दर्शन का दृष्टिकोण जीवन और जगत को लेकर भी विभिन्नता रखता है। क्योकि भारतीय दृष्टिकोण जीवन और जगत के प्रति दुःखात्मक दृष्टिकोण रखता है। जबकि पश्चिमी दर्शन में उपेक्षा न करके भावात्मक दृष्टिकोण को प्रधानता दी गयी है। पश्चिमी-दर्शन में समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र का वर्णन होता है। किन्तु भारतीय दर्शन सर्वांगीण होते हुये भी समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र से दूर रहा पश्चिमी दर्शन का दृष्टिकोण मूलतः एकांगी है। ___ पश्चिमी दर्शन में लोकायतीकृत होने का प्रयास किया है। और भारतीय-दर्शन ने इससे बचने का क्योंकि दर्शन का मुख्य उद्देश्य ही है सूक्ष्म चिन्तन और विवेचन अपने विवेचन मे वह सबजगह लोकायत, लोकरीति या लोकमत से दूर जाता रहा है। भारतीय दर्शन को लोकायत से बचाने के लिये ही जानबूझकर दूरी पैदा की गई है। उदाहरणार्थ- कुमारिल ने लिखा है कि, उसके समय में मीमांसा लोकायतीकृत हो गयी थी और उन्होनें उसको यत्नपूर्वक आस्तिक पथ पर आरूढ़ किया।' लोकवार्तिक ११ प्रायेणैव हि मीमांसा लोके लोकायतीकृता। तामास्तिक पथे कुतमयं यत्नः कृतो मया।।
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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