SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "वृत्तिकारोपज्ञं स्वमतमोह- शब्दस्येति। अपि र्दषणसमुच्चयार्थः अत्र शाबरभाष्यम् गौरित्यत्र कः शब्दः गकारौंकार विसर्जनीयाः इति । बृत्तिकारस्य बोधायनस्यैव ह्युपवर्ष इति स्यान्नाम।" कुछलोगों का मत है कि उपवर्ष सांस्कारिक नाम है तथा बोधायनं गोत्रनाम है। आचार्य वेदान्तदेशिक का बोधायन और उपवर्ष की अभिन्नता में लिखागया यह लेख स्वयं अपनें में संदिग्ध है। उस समय यह समस्य नहीं रहती, जब हम यह मान लेते हैं। कि उपवर्ष द्वारा किया गया संक्षेप बोधायन की रचना के आधार पर एक स्वतंत्र लघुकाय रचन है। परिणामतः बोधायन और उपवर्ष को एक व्यक्ति समझना नितान्त भ्रामक है। वास्तव में उपवर्ष और बोधयन दो व्यक्ति थे। उपवर्ष अद्वैत वेदान्ती थे। वेदान्तन और बोधायन विशिटाद्वैतवादी थे। रामानुज वेदान्त और रामनन्द वेदान्त में बोधयन को विशिष्टाद्वैतवादी माना गया है। गुहदेव और कपर्दी वेदान्त के प्राग आचार्यों में आचार्य गुहदेव का नाम वैष्णव सम्प्रदाय के ग्रन्थों में उल्लिखित मिलता है। रामानुज रचित 'वेदार्थ संग्रह में और श्री निवासदास की "यतीन्द्रमतदीपिका" में गुहदेव, कदी और भारुचि इन तीनों आचार्यों का नाम वर्णित आचार्य गुहदेव ने ब्रह्मसूत्रों पर काई व्याख्याग्रन्थ लिखा था या नहीं इसके विषय में जानकारी का कोई ऐतिहासिक एवं सैद्धान्तिक विवरण प्राप्त करने का साधन नहीं है। परवर्ती आचार्यों द्वारा गुहदेवका नाम वेदान्त की आचार्य परम्परा में सम्मान पूर्वक उद्धृत किया गया है अतेव यह अनुमान भ्रामक नहीं होगा कि गुहदेव वेदन्त के 1 श्री मुरली धर पाण्डेय- शंकरातप्रागद्वैतवादः- पृ० १२ 2 श्रीरामआचार्य- वेदार्थ संग्रह- पृ० १५४ । १ यतीन्द्रमत दीपिका- "व्यास-बोधायन-गुहदेव-भरुचि-ब्रह्म नन्दिद्रमिलाचार्य- श्रीपरंकुशनाथ- यामुनमुनि- यतीश्वर प्रभृतीना मतानुसारेण" इत्यादि।(यतीन्द्रनाथदीपिका-पृ०-१ वारणसी संस्करण) 201
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy