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________________ उपवर्ष भगवान उपवर्ष अत्यन्त प्राचीन वेदान्ताचार्य थे। भगवान शङ्कर ने ब्रह्मसूत्र शाङ्कर भाष्य में दो स्थलों पर बहुत आदर के साथ नाम लिया है तथा 'भगवद्' शब्द का प्रयोग है।' शबर स्वमी ने भी अपने भाष्य में अचार्य उपवर्ष का नाम उल्लिखित किया है।(मी० सू० १।११५) आचार्य उपवर्ष ने महर्षि पतंजलि के सिद्धान्त स्फोटवाद का खण्डन किया। अतः इनका समय ई०पू० प्रथम और द्वितीय शताब्दी ई० पू० के बीच का है। पाणिनि का समय बुद्ध पूर्व प्रमाणित होने पर यह निश्चित है कि पाणिनि का गुरु आचार्य 'वर्ष' उसका पूर्व समकालिक है। 'वर्ष' के भाई उपवर्ष का काल भी वही संभव है। इस प्रकार आधुनिक विद्वानों ने उपवर्ष को पाणिनि का समकालिक माना है। ब्रह्मसूत्रों पर बोधायन ने अतिविस्तृत वृत्ति लिखी उसमें से कुछ उपेक्षित कर उपवर्ष ने उसका संक्षेप किया। "प्रपञ्चहृदय' ग्रन्थ के लेख से पता चलता है कि उपवर्ष का ग्रन्थ अपने रूप में स्वतंत्र था। श्री मुरलीधर पाण्डेय ने लिख है- "इत्थंश्रीबोधयनोपवर्षयोभिन्नत्वंचाभिन्नत्वं चायाति किन्तु विशिष्टाद्वैतस्य प्रमुखतम आचार्यों वेदान्त देशिकोऽधिकदाईयेन उपवर्षबोधयनोरैक्यं वदति श्री भाष्य तत्त्वटीकायाम् 'क. वर्ण एव तु शब्द:- इतिभगवानुपवर्षः (ब्र० सू० शां० भा० १३१२८) ख अतएव भगवतोपवर्षेण प्रथमतन्त्र आत्मास्तित्वाभिधान प्रसक्तौ शारीरके वक्ष्याम इत्युद्वारः कृतः(ब्र० सू० शा० भा०)(३/३/५३) 2 मीमांसादर्शन- शबर भाष्य- ११११५। बृत्तिकार ग्रन्थनामकोलेखः, लेखक श्री गङ्गानाथ झा, चतुर्थ ओरियण्टल कान्फ्रेंस, इलाहाबाद १६२६- पृ०४६ प्रकाशित । ' तस्य विंशति अध्याय निबद्धस्य मीमांसाशास्त्रस्य 'कृतिकोटि' नामधेयं भाष्य बोधायनेन कृतम्। तद्ग्रन्थवाहुन्यभयादुतुक्ष्य किञ्चद्संक्षिप्तमुपवर्षेणकृतम्। उपाङ्ग प्रकरण, पृ० ३६ 200
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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