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________________ अपने ग्रन्थ भगवान श्रीकृष्ण और भगवद्गीता में लिखा है कि-"एक अन्य बात यह है कि साधारण जनता को गीता के विषय में तब तक अधिक जानकारी नहीं थी जब तक शंकराचार्य ने उस पर अपना महान भाष्य लिखकर उसे महान नहीं बना दिया। बहुतों का कहना है कि उससे बहुत पहले उस पर बोधायन का भाष्य प्रचलित था। यदि यह सिद्ध हो सके तो निःसन्देह गीता की प्राचीनता और व्यास का उसका लेखक होना काफी हद तक मान्य हो सकता है। किन्तु भारत भर में भ्रमण करते समय मुझे वेदान्त सूत्र पर बोधायन के भाष्य की कोई प्रति नहीं मिली।' रामानुज ने उससे अपना श्रीभाष्य संकलित किया, शङ्कराचार्य ने उसका उल्लेख किया है और स्वयं अपने भाष्य में यत्र-तत्र उसे अंशतः उद्धृत तक किया है और स्वामी दयानन्द ने उसकी बड़ी चर्चा की है। कहा जाता है कि रामानुज तक ने कीड़ों-मकोड़ों से खायी हुयी एक हस्तलिखित प्रति से, जो संयोग से उन्हें मिल गयी थी, अपने भाष्य को संकलित किया। जब वेदान्त सूत्र पर लिखा गया बोधायन का यह महान भाष्य भी अनिश्चितता के अन्धकार में इतना ढका हुआ है तब गीता पर बोधायन भाष्य के अस्तित्व को प्रमाणित करने का प्रयास व्यर्थ है। कुछ लोग यह निष्कर्ष निकालते हैं कि गीता के लेखक शंकराचार्य थे और उन्होंने ही उसे महाभारत के बीच में प्रक्षिप्त कर दिया। भगवद्गीता में कृष्ण के व्यक्तित्व के विषय में भी संदेह की स्थिति है। छान्दोग्य उपनिषद् में एक जगह हमें देवकी के पुत्र कृष्ण का उल्लेख प्राप्त होता है, जिन्होंने घोर नामक योगी से आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण की थी। महाभारत में कृष्ण का द्वारकाधीश के रूप में वर्णन मिलता है और विष्णुपुराण में गोपियों के साथ रास-लीला करते हुये कृष्ण का वर्णन है। भागवत में व्यापक रूप से रासलीला का वर्णन है। 1 भगवान श्रीकृष्ण और श्रीभगवद्गीता- पृ० २२॥ 157
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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