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________________ शङ्कराचार्य इन्हें 'पूज्यामिपूज्य परम गुरु' कहकर अत्यन्त आदर देते थे। शङ्कराचार्य के शिष्य सुरेश्वराचार्य भी इन्हें 'पूज्यगौण' कहते थे। गौणपादाचार्य ने अद्वैत मत का प्रतिपादन किया। और इनका 'अजातिवाद' प्रमुख सिद्धान्त माना जाता है। साहित्य वेदान्त का साहित्य अत्यधिक विशाल है। उपनिषद् गीता, ब्रह्मसूत्र (प्रस्थानत्रयी) पर आचार्य शङ्कर का भाष्य प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त माण्डूक्य कारिका भाष्य, विष्णुसहस्रनाम भाष्य, सनत्सुजातीय भाष्य, सौन्दर्यलहरी, उपदेशसाहस्री आदि आचार्य शङ्कर की प्रसिद्ध रचनाएं हैं। कालान्तर में शङ्करोत्तर युग के अनुवायियों में मतभेद के कारण दो सम्प्रदाय अस्तित्व में आया। विवरणप्रस्थान, भामती प्रस्थान। ब्रहमसूत्र भाष्य पर शङ्कर के शिष्य पद्मपाद ने पंचपादिका टीका लिखी। प्रकाशात्मन ने पंचपादिका पर विवरण नामक टीका लिखा जिससे 'विवरणप्रस्थान' का उदय हुआ। अखण्डानन्द ने इस पर तत्त्वदीपन नामक टीका लिखी। विद्यारण्य ने 'विवरणप्रमेय संग्रह' लिखा। वाचस्पति मिश्र ने 'भामती लिखकर भामती प्रस्थान सम्प्रदाय की नींव डाली। अमलानन्द ने भामती की व्याख्या कल्पतरु में और अप्पयदीक्षित ने कल्पतरु की व्याख्या परिमल में किया। विद्यारण्य की पञ्चदशी, सदानन्द का वेदान्तसार, चित्सुख कृत चित्सुखी माधवाचार्य प्रणीत पञ्चदशी और जीवन मुक्ति विवेक अद्वैत वेदान्त के अन्य प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। वेदान्त के अन्य सम्प्रदाय ___ वेदान्त के अन्य सम्प्रदाय हैं रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत वेदान्त, मध्वाचार्य का द्वैतवाद, वल्लभाचार्य का शुद्धाद्वैतवाद, निम्बाकाचार्य का भेदाभेदवाद है। आचार्य शङ्कर आचार्य शङ्कर अलौकिक प्रतिभासम्पन्न महापुरुष थे। इनका जन्म ७८८ई० में अर्थात् आठवीं शताब्दी के अन्तिम काल में केरल के कालडी गाँव में एक नम्बूदरी 117
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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