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________________ चतुर्थ खण्ड : उन्तालीसवॉ अध्याय ६३१ पंचनिम्ब चूर्ण-निम्ब के पत्र, जड, छाल, पुष्प और फल इन्हे सम प्रमाण मे लेकर महीन कपडछान चूर्ण बनावे । मात्रा ३ माशे । अनुपान-घृत, गाय का दूध, आवले का स्वरस या जल के साथ। खदिरारिष्ट-खैर की लकडी का बुरादा २०० तोले, देवदारु २०० तोले, वावची ४८ तोले, दारुहल्दी १०० तोले, हरे, बहेरा और आवला मिलाकर ८० तोले । इब सव को जौकुट कर ८१९२ तोले जल मे पका कर १०२४ तोले जल शेष रहने पर कपडे से छान ले। पोछे उसमे शहद ४०० तोले, चीनी ४०० तोले, धाय के फूल अस्सी तोले, कवावचीनी, नागकेशर, जायफल, लोग, छोटी इलायची, दालचीनी, तेजपात प्रत्येक ४-४ तोले और अनन्तमूल ३२ तोले इनका कपडछान चूर्ण मिला कर किसी पेचदार चीनी मिट्टी के वर्तन या मिट्टी के भाण्ड मे या सागौन की लकडी के पीपे मे मुँह बन्द करके एक मास तक पडा रहने दे। १ मास के बाद छानकर शीशियो मे भर ले । मात्रा २ तोले से ४ तोले वरावर पानी मिलाकर । कुष्ठ मे घृत-प्रयोग-कुष्ठ रोग मे घृतो के प्रयोग से उत्तम लाभ होता है | तिक्त घृत, महातिक्त घृत, पचतिक्त घृत, महाखदिर घृत आदि श्रेष्ट योग है । इनमे कुछ, पर उत्तम घुतो का योग नीचे दिया जा रहा है-- महातिक्त घृत (चरक)-छतिवन, अतीस, अमलताश, कुटकी, पाढ, नागरमोथा, खस, हरे, वहेरा, आवला, परवल की पत्ती, नीम, पित्तपापड़ा, धमासा, चन्दन, छोटीपीपल, पद्माग्व, हल्दी, दारुहल्दी, वच, इन्द्रायण को जड, शतावर, अनन्तमूल, अडूसा, कुटज की छाल, जवासा, मूर्वा, गिलोय, चिरायता, मुलैठी, और त्रायमाण प्रत्येक १-१ तोला लेकर कपडछान चूर्ण बनाकर पानी से पीस कर कल्क बनावे पश्चात् उसमें घी १२८ तोले, जल १०२४ तोले और आवले का रस २५६ तोले मिलाकर घृत का मद आच पर पाक करे । तैयार होने पर कपडे से छानकर काच के वरतन में भर ले । माया , तोला, प्रातः समय । पंचतिक्त घृत-निम्ब की छाल, पटोलपत्र, कटकारी पंचाङ्ग, गिलोय, एव अडूसे को प्रत्येक ४० तोले लेकर १६ सेर जल मे पकावे । ४ सेर क्वाथ के शेप रहने पर उसमे घी १ सेर और त्रिफला कल्क २० तोले भर मिला कर पकावे। सोमराजी घृत-खदिर ८ पल, वाकुची २ पल, त्रिफला, नीम, देवदारु, दारुहरिद्रा, पित्तपापडा १-१ पल, कटकारी २ पल । इन द्रव्यो को जो कुट कर के चतुर्गुण जल मे पका कर चोथाई शेप रहने पर उतार कर छानले । फिर बाकुची ४ पल, खदिर की छाल १ पल, परवल की जड, हरड, वहेरा, आवला,
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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