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________________ युरा ? इस ग्रन्न का उतर गठिन माप :मनोरम प्रतीत होता यपि उन मानी . .... विपोपमही होते हैं। यही कारण; fit IIT .. कर्णधार टि-व्यवसायों को साजभा प्रय: केन्द्रों में बने चगों के पाननः मनाम : : राजवंग का प्रतीक बन रहा जब हम चितिरमा-विज्ञान के पत्र में न को :: ओर जटिल तो जाना। मनुरी अन्य य म : अद्योगीरण कुछ विरार सामाजिक विमा यो रिक्त कोई विशेप मूल्य नही ग्यता, पनि नाना : शक्तियों का वन्द्र उस सम्बन्ध में विचार र ५ मा . .:: रचना पटता है। जया कि पूर्व में बनाया जाना । 3 ... विज्ञान के दृष्टिकोण से विचार अबा विशु चिरिया टीम वह समाज की प्रत्यक इकाई के माधम धागाच्या प्राधिकर, मंहनन, प्रमाण, सात्म्य, मध, आहार-ति, गावामशनि, , का ध्यान रमते हुए अपना विचार देता है। ममिवाना मामा , नियम या एक ही औपधि समाज के सभी न्यनितों के अनुर नाम 11, उदाहरण के लिए विचिका के प्रनिगार में व्यवान छान TT Tri. भेक्सीन' अधिकाशत' राभप्रद हो जाता है परन्तु सब पिसानि और अनुकूल नहीं हो सस्ता, इसी प्रकार निश्मिा च्यवान ने कारन से योग विभिन्न रोगों में लाभप्रद होते हुए भी विभिन्न व्यनियों में प्रनिटर लक्षणों को पैदा कर सकते हैं जया कि आधुनिक शब्द अमायना, अनदाता ( Allergy and Idiocyncracy ) शब्दों के प्रचलन से ज्ञात होता है। आ निक चिकित्सा विज्ञान जिसका दृष्टिकोण एक न होर सार्वजनिा या सामूहिक रहता है, इन इकाइयों की चिन्ता न करते हुए समा गनिनोलो। __भारतीय ज्ञान और विज्ञान की परम्परा एकेक साधना में निहित है पि, वाणिज्य, रक्षा शासन, शिक्षा, धर्म एवं उपासना आदि क्मों में वह पत.एक इकाई के विचार से उपदेश देता है, जिससे वृहत्तर रूप में सम्पूर्ण समाज का कल्याण होता चलता है। . आयुर्वेद के स्वास्थ विज्ञान का भी दृष्टिकोण एक साधना में ही केन्द्रित है । वह वैयक्तिक स्वास्थ या व्यक्तिगत स्वस्थ वृत ( Personal Hygicnc ) में ही विश्वास रखता है। आयुर्वेद के दृष्टिकोण से यदि समाज की एक-एक इकाई को स्वस्थ बना दिया जाय तो सम्पूर्ण समाज स्वस्थ हो सकता है। इसीलिये वह एक मनुष्य को प्रतिदिन समय-विभाग के अनुसार आचरणो का
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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