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________________ __ धरणेन्द्र-पद्मावती-कृतज्ञता ज्ञापन । । १.२३ प्रथम भागमें राक्षसोंके और दूसरेमे असुरकुमारोंके घर हैं और वे देदीप्यमान रत्नोंके बने हैं। खरभागमे अतिशय देदीप्यमान, स्वाभाविक प्रभाके धारक नागकुमार आदि नौ भवनवासियोके अनेक घर हैं।...नागकुमारोंके चौरासीलाख भवन है। .मणि और सूर्यसमान देदीप्यमान पाताल लोकमें असुरकुमार नागकुमार सुएर्णकुमार द्वीपकुमार उदधिकुमार स्तनितकुमार विद्युतकुमार दिकुमार अग्निकुमार और वायुकुमार ये दश प्रकारके देव यथायोग्य अपने अपने स्थानोंपर रहते है । (ट० ३२-३३) इस तरह यहांतकके वर्णनसे यह स्पष्ट है कि धरणेन्द्र और उसकी मुख्य पट्टरानी पद्मावती नागकुमार देवोंके इन्द्र-इन्द्राणी थे और वह पाताल लोकमें रहते थे। उनको नागवंशी राजा अथवा विद्याधर मनुष्य बतलाना कुछ ठीक नहीं जंचता, परन्तु यह बात विचारणीय है; इसलिये इसपर हम अगाड़ी प्रकाश डालेंगे। पाताललोक हमारी पृथ्वीके नीचे बतलाया गया है, परन्तु ऊपर जो रानवार्तिकनी व अर्थप्रकाशिकाजीके उद्धरण दिये गये हैं, उनसे यह; प्रकट होता है कि जम्बूद्वीपके असंख्यात द्वीपसमुद्रोको उलंघ जानेपर दक्षिण दिशामें खरभाग पृथ्वी मिलती है जहां धरणेन्द्रके भवन हैं तथापि जम्बूद्वीप आदिकर संयुक्त मध्यलोक जैन शास्त्रोमें थालीके समान सम माना है।' इस अपेक्षा तो धरणेन्द्रका निवासस्थान हमारी पृथ्वीके नीचे प्रमाणित नहीं होता। परन्तु शास्त्रोंमें सर्वत्र पाताललोक पृथ्वीके नीचे बतलाया गया है। ऐसी अवस्थामे उपरोक्त शास्त्रोके कथ १. चरचाशतक पृ० ११ । २. हरिवंशपुराण पृ० ३२-३३ ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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