SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१०) भगवद्गीता के अध्याय १२ और श्लोक १५ मे लिखा है “यस्मानोद्विजते लोको, लोकानोद्विजते च.यः" अर्थात्-जो मनुष्य किसी को दु.ख नहीं देता है और न किसी से दुखी होता है, वही ईश्वर का प्यारा होता है। महाभारत के शान्तिपर्व में लिखा हैसर्वे वेदा न तत्कुयुः सर्वे यज्ञाश्च भारत ! सर्वे तीर्थाभिषेकाश्च यत्कुर्यात् प्राणिनां दया॥ अर्थात-प्राणियों की दया जो फल देती है, वह चारों वेद भी नहीं दे सकते, समस्त यज्ञ भी नहीं दे सकते और तीर्थों के स्नान तथा वन्दन भी वह फल नहीं दे सकते। बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध ग्रन्थ धम्मपद (१९-१५) में लिखा हैन तेन अरियो होति, येन पाणानि हिंसति । अहिंसा सबपाणाणं अरियोत्ति पवुजति ॥ अर्थात्-जो मनुष्य दूसरों को दुख देता है, वह आर्य या भला पुरुष नहीं होता। आर्य कहलाने का वही अधिकारी होता है जो दूसरी को कष्ट नहीं देता तथा सब प्राणियों के प्रति दयाभाव रखता है। कबीर जी जीवहत्या का बड़े कडे शब्दो मे विरोध करते हुए कहते हैंतिल भर मछली खायके, करोड़ गऊ करे दान । काशी करवत ले मरें, तो भी नरक निदान ॥ मुसलमान मारें करद से. हिन्दु मारे तलवार । कहें कबीर दोनों मिली जाएं यम के द्वार | मिक्खों के धर्म-अन्य ग्रन्थसाहिब में लिखा है -
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy