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________________ महावीर की क्रान्ति से आज के क्रान्तिकारी क्या प्रेरणा लें? १४५ उसमें से चिंतन लाता, कोई सत्य की भावनामयी क्रियाशील शक्ति लाता, कोई कला और सौंदर्य की अनुभूति पाता, कोई आनन्द और सुख का पाठ पढ़ता, कोई क्षमा और विवेक लेता और कोई कला के अनेक रूप सजोता हुआ शान्ति पाता । सत्य, अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह-ये उनके साधना और ध्यानमय जीवन के प्रतीकात्मक आनन्द बनकर अनुरंजन हो गये, रस में मिलकर समरस हो गये । ये सारे भाव, ये सारी मैत्री, ये सारी दृष्टियां, ये सारे दया और करुणा के प्रारूप, ये सारे मनोरम आकर्षण, ये सारे दिव्य रूप और ये सारी शालीनताएं जो इन चरम चक्षों से दिखाई दे रही हैं वे उनके भावनामय जीवन के अरागात्मक संदेश हैं। क्रान्ति की जीवन्तता: हजारों वर्ष बाद भी हम इस वीर की शांतिपूर्ण क्रांति को नहीं भूले हैं । जिसने रंग रूप के, जाति-पांति के, भेद-भाव के, दर्प-प्रदर्शन के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द कर समाज की जीर्ण-शीर्ण व्यवस्था को नूतन रूप प्रदान किया, धर्म की विखरी कड़ियां जोड़ी और प्रेम और सद्भाव की तरंगें फैलाई, मंगल-सूत्रों का प्रसारण किया और आस-पास के वायु मण्डल को त्याग, तप और वैराग्यमय बना दिया। महावीर जानते थे कि मानव का पतन लोभ और स्वार्थ से होता है। परिवार के ये सारे रागात्मक सम्बन्ध, धन का मोह, ऐश्वर्य की आसक्ति और परिग्रह ही व्यक्ति को गिराने में सहायक होता है इसलिए वे त्याग और वैराग्य का ही उपदेश देते रहे। वीर के मैत्री पूर्ण विचारों से सम्राटों का जीवन बदल गया, महीपालों के मस्तक झुक गए । सर्वत्र प्रेम और एकता की गंगा बहने लगी। महावीर जहां जाते, एक बहुत वड़ा समुदाय उनके साथ चल पड़ता। जिस ओर एक पांव उठता सैंकड़ों पांव उस ओर चल पड़ते, जिधर एक दृष्टि पड़ती, सैंकड़ों दृष्टियां नत हो जाती और कोटि-कोटि कण्ठों से जय घोप हो जाता। आज के क्रान्तिकारी प्रेरणा लें: क्रांतिकारी महावीर से आज के क्रांतिकारी बहुत कुछ प्रेरणा लेकर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं । देश काल की परिस्थितियों को देखते हुए आज के क्रांतिकारी महावीर की क्रांति से अपने जीवन की अव्यवस्थित गतिविधियों को नूतन रूप दे सकते हैं। सच्चाई के लिए साहस और दृढ़ता का पाठ पढ़ सकते हैं, क्रांति में शांति रखकर विवेक को जगा सकते हैं। आज के क्रांतिकारी महावीर के जीवन से सीखें कि कर्तव्य पथ पर डटे रहने और अपना संकल्प पूर्ण करने के लिए कभी हिम्मत नहीं हारें । चाहे तूफान गिर रहा हो, चाहे बादल गरज रहे हों, चाहे विपत्तियों के पहाड़ टूट रहे हों, चाहे जीवन-नया भीपण खतरे में गिर रही हो, ऐसे समय में भी क्रान्तिकारी वैर्य और विवेक के साथ शान्तिपूर्ण तरीके से अपना कर्तव्य पूर्ण करें।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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