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________________ १४६ राजनीतिक संदर्भ आज के क्रान्तिकारी महावीर से सीखें कि उन पर शासक दल द्वारा कितना ही दमन चक्र चलाया जा रहा हो, कितनी ही शारीरिक यातनायें दी जा रही हो, फिर भी भावावेश में आकर वे देश का अहित न करें, देश की सम्पत्ति को हानि न पहुँचावें, तोड़-फोड़ न करें, वसों और पैट्रोल टेन्कों में प्राग न लगावें, रेलों की पटरियों के बोल्ट नहीं निकालें, हिंसा पर उतारू होकर जन-जीवन को खतरे में न डालें, क्योंकि अशान्ति से, हड़ताल से, उपद्रव से जो कुछ हानि होती है वह समूचे राष्ट्र की होती है। जनता के खून पसीने की कमाई स्वाहा हो जाती है । ऐसी हानि से सारा राष्ट्र प्रभावित होता है। आज के क्रान्तिकारी महावीर से सीखें कि उनकी क्रान्ति निजी स्वार्थ के लिए नहीं हो । जनता की भलाई के लिए हो । देश प्रेम की वृद्धि और एकता बढ़ाने के लिए हो । क्रान्ति के नाम पर गुण्डागर्दी करना, मां-बहिनों को सता कर उनका सतीत्व हरण करना, यह ऋपियों और तीर्थंकरों के देश के लिए शोभास्पद नहीं है। क्रान्तिकारी अपने लक्ष्य की ओर ही बड़े ताकि समाज और देश का भला हो सके। क्रान्ति के नाम पर हड़तालें करना, उत्पादन रोकना, अधिक लाभ की दृष्टि से जीवनोपयोगी वस्तुएं छिपाना द्रोह है । आज के क्रान्तिकारी महावीर से सीखें कि वन, सम्पत्ति सत्ता और अधिकार को ही महत्व देकर एक मानव, दूसरे मानव को न सतावे, एक मानव, दूसरे मानव को न डरावे, एक मानव दूसरे मानव का शोपण न करे, एक मानव दूसरे मानव का सुन्न न लूटे, उसके बच्चों की रोटी न छीने, एक मानव, दूसरे मानव से भय न खाए, भय नाम की कोई वस्तु नहीं रहे । सन्देह और घृणा के सभी तार दो टूक हो जायें और एक मानव का, दूसरे मानव पर प्राशा और विश्वास बढ़ जाय और सभी सुख से अपना जीवन व्यतीत करें। महावीर ने कहा हम किसी के भय के कारण न बनें और कोई हमारे लिए भय न वने । हम सभी के मित्र हैं, हमारे भी सभी मित्र हैं, हम किसी को विवश न करें और हमारे से भी कोई विवश न हो । महावीर ने कभी यह नहीं कहा कि अनुभव और ज्ञान के आधार पर मैं जो कुछ कह रहा हूं वह सत्य है और तुम जो कहते हो वह असत्य है। महावीर ने कहा कोई वड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं, सभी विकासशील हैं। सभी अपने प्रयत्न से प्रगति कर सकते हैं। वह क्रान्ति पुरुष अव नहीं हैं किन्तु उनके अमर सन्देश विश्व में गूंज रहे हैं, हमारी हृदयतन्त्रियों को झकझोर रहे हैं। हमारा कर्तव्य है कि उनके आलोकित पथ का अनुसरण कर हम अपने जीवन को सफल बनावें।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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