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________________ २४ वर्तमान नेतृत्व महावीर से क्या सीखे ? . श्री सौभाग्यमल जैन - - . .. - ..... .. - ........ ... . . .... ...... . . ........ ज्ञान और कर्म का सामंजस्य : एक जैन आचार्य ने भगवान् महावीर की स्तुति में कहा था मोक्ष मार्गस्य नेतारं, भेत्तारं कर्म भूभ्रताम् । नातारं विश्व तत्वानां, वंदे वीरम्जिनेश्वरम् ।। उक्त जनोंक में भगवान महावीर की वंदना करते हुए कहा गया कि आप मोक्ष मार्ग के नेता हैं । आपने कर्मों को नष्ट कर दिया है तथा विश्व के तत्वों (रहस्यों) के आप जाता है। तात्पर्य यह कि उक्त स्तुतिकार ने भगवान् को मोक्ष-मार्ग के नेता, पथ-प्रदर्शक, मार्ग-दर्शक होना बताते हुए समस्त कर्मो के नष्ट करने तथा विश्व-रहस्य को जानने वाले निरुपित किया है । यदि हम गहराई से विचार करें तो हमें यहीं वह कुजी प्राप्त हो सकती है कि नेतृत्व में किस प्रकार के गुण अपेक्षित हैं ? नेता (पथ-प्रदर्शक) में कर्म और ज्ञान का साम्य चाहिये । उसका ज्ञान इतना विशाल हो कि वह सब रहस्यों को जान सके, तथा कर्म में उसको अदम्य साहस हो । कहा जाता है कि भगवान महावीर के संचित कर्म अत्यधिक थे इस कारण उनको चकनाचूर करने के लिये उन्हें अथक तपस्या करनी पड़ी। नेता तव और अव : भारतीय स्वतन्त्रता से पूर्व 'नेता' शब्द उन्हीं त्याग-तपस्या के धनी प्रतिभासम्पन्न विशिष्ट व्यक्तियों के लिये उपयोग में लाया जाता था, जिनका राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय योगदान होता था, जो भारतीय जन-मानस को स्वातन्त्र्य युद्ध में दिशा-बोध कराकर राष्ट्र में निर्भयता व सदाचार का भाव भरते थे तथा जो एक शक्तिशाली विदेशी शानन से लोहा लेने के लिये सदैव तैयार रहते थे। किन्तु स्वतंत्रता के पश्चात् के काल में 'नेता' शब्द का प्रयोग अपवाद को छोड़कर केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिये प्रयुक्त किया जा रहा है जिनके हाथों में शासन का सूत्र है । कहा जाता है कि प्रजातंत्र में शासन के मंत्री, मुख्यमंत्री अथवा प्रधान मंत्री ही नेता होते हैं। उन्हीं पर देश को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का उत्तरदायित्व है । देश को किस रास्ते पर ले जावें, यह उन्हीं को तय करना है । यह बात सर्वाश में चाहे सत्य न हो किन्तु अधिकांश में सत्य है । यह सही है कि अपवाद रूप कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जो शासन के अंग न होते हुए भी देश का दिशा-दर्शन करते हैं, किन्तु यह भी सत्य है कि प्रभावशाली रूप से शासकीय नेता ही देश की दिशा तय कर सकते हैं ।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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