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________________ ' F कलक है। "एक शर्म की बात है । "सेनापति । श्रपनी सेना को सजा दो । ) "सैनिको । कमर कसकर तैयार हो जाओ । "सावधान 1 अपनी सीमा को पूर्ण सुरक्षा की जाए । "हम किसी को प्राधीनता स्वीकार नही करेंगे । "कभी नही करेगे । यदि ' आदि बाते हो रही थी । दक्षिण के सभी राज्यधिकारी अपने अपने विचारो से अपनी अपनी वाते सोच सोचकर पक्की कर रहे थे । भरत की सेना चक्ररत्न के पीछे पीछे आगे बढ रही थी । ज्यो ही किसी राज्य की सीमा प्राती भरत अपना दूत उस राज्य के राजा के पास भेज देता और जबतक दूत श्राकर उत्तर नहीं देता, सेना सीमा में प्रवेश नही करती । दूत जाता और भरत महाराज की सेना, चकरत्न व विजय आदि का हृदय पर प्रभाव डाल देने वाला वर्णन करता । जिसे सुनकर दिल दहल जाता और युद्ध करने के भाव उठ उठ कर दबते जाते । दूत उन्हें यह भी समझाता कि यदि आप भरत महाराज के पास जाकर श्राधीनता स्वीकार कर लेते हे तो आपसे आपका राज्य नही छीना जायगा । श्रापका राज्य तो आपको मिलेगा ही इसके साथ-साथ भरत महाराज की कृपा दृष्टि भी आपके ऊपर सदैव बनी रहेगी । "" तब वह राजा सोच मे पड जाता । उसका मन कहता -- वात तो अच्छी ही है । राज्य तो अपना ही रहेगा । . अगर भरत महाराज की कृपा दृष्टि रहती है तो समय-कुसमय ·
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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