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________________ ( ५० ) का उत्सव हो रहा था । एक ओर नृत्य, गान हो रहा था तो दूसरी और वैराग्यवर्धक ज्ञान की देशना हो रही थी । यशलती और सुनन्दा रानिया हस भी रही थी और हृदय बैठा भी जा रहा था । ग्राज उनके पुत्र को नाम्राज्य पद दिया गया है और आज ही पति से उनका विछोह हो रहा है । क्या करें वे दोनो " हल भी नही सकती तो से भी नही सकती । अयोध्या का कोना कोन नाच भी रहा था और आहे भी भर रहा या । क्यो ??? क्योकि सृष्टि के सृजनहार भगवान आदिनाथ आज उनके बीच से जा रहे थे। जगल का वास करने को, अपने आप मे रमते को । मोह की जजीर को तोड रहे थे । वैराग्य-उपवन के आध्यात्मिक पुप्पो को गप ले रहे थे । मणिचित पालकी मे ग्रादिनाम विराजमान हुए । पालकी को मानवो ने और स्वर्ग के देवो ने उठायी। जय जय कार हो उठा । पुष्प बरस पड़े प्रोर जनममूह उन यही आवाजें आ रही थी । पडा । सभी ओर से "प्राज भगवान कहा जा रहे हैं " महलो में क्यो नही रहते ?" 'क्या दुखाइको महनों मे २" "रही ""तुम सम हो।" ? ही नहीं ग गया है राज्य ना ! तो नहीं हो गया है ? " ?" 1
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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