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________________ आज चैत्र कृष्णा नवमी का दिन है । मीन लग्न है, ब्रह्मयोग है, धन राशि का चन्द्रमा है और उत्तरापाढ नक्षत्र है। आज सारी अयोध्या मे आनन्द मँगल हो रहा है। याचको को खुलकर दानदिया जा रहा है। द्वार-द्वार पर मधुर वाद्य बज रहे है । क्यो? ?? ____ क्यो कि आज रानी यशस्वती ने पुत्र प्रसव किया है । सुन्दर, सुडोल, वालक को देख-देखकर रानी यशस्वती अक से लगाये जा रही है । और महारानी मरूदेवी ? ____ महारानी मरूदेवी तो आज खुले मन से दान कर रही है। पौत्र की मगल कामनाये चाह रही है। और फूली-फूली नाच रही है। भगवान आदिनाथ ने जान लिया कि यह पुत्र ही पृथ्वी का प्रथम सम्राट होगा और यही पृथ्वी का भरण पोषण करेगा। अत इसका नाम 'भरत रखा। भरत वालक अव दोज के चन्द्रमा की भांति वृद्धि को प्राप्त होने लगा। परम्परा को जन्म देने वाले ग्रादिनाय ने बालक के सभी सस्कार कराये यथा नामसम्कार मुंडन संस्कार अन्नप्राशन सस्कार उपनयन सस्कार और शिक्षा सस्कार । भरत, शिक्षा मे ग्रासर था । स्वय आदिनाथ ने अपने पुत्र भरत को सभी शिक्षाये दी थी, यथा-काला, युद्ध, प्रशाननिक, व्यवहारिक, एव लोक नीति, भरत ने अपने पूर्व पुण्योदय से नगन के साथ सर्व विद्याये सीखी। समयान्तर पर रानी यास्वती के अन्य निन्यानवे पुन त्या एका पुो 'बाहो' भी हुये जिन्हे देख-देख कर सभी प्रमल हो रहे थे।
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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