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________________ ( २२ ) क्यो ??? क्योकि आज कर्म भूमि के शृष्टा धर्मभूमि के महान उप श्रृष्टि के आदि पुरुष बाबा श्रादन, सृष्टि कला और विकार कलुपता तथा भूस प्याम की भयकर विमारी के सहारक भगवान शकर ने जन्म जो लिया है। भूले भटके असभ्य, अनविज्ञ, मानव को नही मार्गाज राजा नाभि के घर रानी मरुदेवी के प्रागन मे मेल रहे हैं । प्रोज भरे, और ज्ञानभरे बालक ऋषभ को निग्स, देजने, दर्शन करने को भीड उमड रही है। चारों ओर नृत्य हो रहा है । आनन्द मंगल की धूम छा रही है । महान् पुण्यशाली भगवान ऋषभदेव के जन्म पर जो विशेषता होनी चाहिये थी हुई । पुण्य का फल होता ही ऐसा है । पूर्वभव के सचित पुण्य कर्म लाज प्रकट हो रहे थे । X X X समय चक्र सदेव चलता ही रहता है । और उसके चलते रहने के बीच अनेक परिवर्तन आते रहते है । उन परिवर्तनो को पृष्ठभूमि पर समय चक्र रुकता नही अपितु चलता ही रहता है । पौराणिक आधार के अनुसार पृथ्वी अनादि से है इसका रचियता कोई नही । काल का परिवर्तन पृथ्वी पर होता रहा है और उस काल के परिवर्तन में पृथ्वी ने भी परिवर्तन मे भाग लिया है । जिस प्रकार कृष्णपक्ष के पश्चात् शुक्लपक्ष और शुक्लपक्ष के पश्चात् कृष्ण पक्ष नियम से आता है । ठीक वैसे ही काल का चक्र भी सुखद और दुखद नियम से चलता है । द्विभेद काल का चक्र छह प्रकार का होता है । यथा पहलासुखमा सुखमा । दूसरा सुखमा । तीसरा सुखमा दुखमा | चौथा दुखमा सुखमा | पाँचवाँ दुखमा और छठा दुखमा दुखमा । इसप्रकार छठा कालदु खमा दुखमा व्ययीत होने पर प्रलय का ताण्डव नृत्य
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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