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________________ मूर्ति लग रहे थे । इन्द्र ने जो बालक को देखा तो उसके नयन निरखते ही रह गये। वाह वाह क्या अनुपम सौन्दर्य है ? क्या शरीर है ? क्या तेज है ? इन्द्र अवाक रह गया । एक से नही दो से नहीं, इन्द्र को बालक के सौन्दर्य-रस का पान करने के लिये हजार नेत्र बनाने पडे । वडी प्रसन्नता के साथ इन्द्र ने इन्द्राणी के साप ताण्डव नृत्य किया। विविध प्रकार के वाद्य बजने लगे। देवॉचनाये मगल गीत गाने लगी और सारा गगन मण्डल जय जय कारो की नाद से गूज उठा। ___ मंगल कार्य हो चुकने के पश्चात् इन्द्र वापिस उगी ठाट-बाट के साथ अयोध्या पाया। बालक को इन्द्राणी ने मा की गोद में लिटाया। माया मई वालक लुप्त हुना । ईन्द्र और इन्द्राणी ने माता पिता की पूजा की । बालक के साथ रहने के लिये अनेक देव देविया छोडकर ईन्द्र ने प्रस्थान किया। बालक ऋषभदेव दोज के चद्रमा की भाति वृद्धि को प्राप्त होने लगे । देवगण उनके ही समान वालक होर उनके साथ खेलने लगे। देवांगनाये बालक की परियचर्या करने लगी। "वाह वाह क्या प्रानन्द का स्रोत है ?" 'कहा ? "उधर देखो उधर.. .." बालक ऋषभ वालकोपयोगी क्रीडाये कर रहे थे और मा मरुदेवो तथा पिता नाभि फूले न ममा रहे थे। हाथो हाथ रहने वाले बालक ऋषभदेव फुदक रहे थे। माता मरूदेवी के आंगन मे घूम सी मची हुई है। बधाई गाने वाली का ताता सा लग रहा है। राजा नाभि भी प्रत्येक प्रकार के मगल उत्सवो मे भाग ले रहे थे। आज अयोध्या का ही नहीं, अपितु विश्वभर का बच्चा बच्चा प्रसन्नता से नाच रहा था।
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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