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________________ भगवान आदिनाथ ने ससार मे अवतार (जन्म) लेकर क्या नही दिया ? अर्थात सभी कुछ तो उन्होने दिया है । यथा--- ____ मानवता, मानवोपयोगी कर्म, जगत का निर्माण, ससार में पवित्रता, त्याग, सयम, तप, वैराग्य, सामाजिक नीति, राज्यनीति, शासन परम्परा, और मानव मे महानता का श्रोत सभी कुछ तो भगवान आदिनाथ ने प्रदान किया है । प्रत आज सारा विश्व उन्ही की रचना का प्रति फल है । उन्हे-- -कोई आदिनाथ (ऋपभ देव) कहता है। -कोई-ब्रह्मा कहता है, -~~-कोई-शिव कहता है, ----कोई-वावा आदम कहता है -कोई-परमेश्वर कहता है। कुछ भी कहो सृष्टि के आदि पुत्प भगवान आदिनाथ प्राणी मात्र के हितंपी थे और उन्ही ने मानव को मानवता प्रदान की। निरूपम निरान्तक नि शेप निर्भाय, निरशन नि शेप निर्मोह ! ते। परमसुख परदेव परमेश परमवीयं निरप निमल रूप वृपभेप । ते ॥ । जयमगलम्। नोट-पापको यह पाचानक कसा तगा--प्रपनी अमूल्य राय अवश्य हने लिखने की कृपा कीजियेगा। हम पाठक गरण के 'ओं के जीने की प्रतीक्षा करेंगे। धन्यवाद प्रापती प्रामारी जनिल पोस्ट तुफ्त ईश्वरपुरा मेरठ माहर।
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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