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________________ ( १८४ ) 'वह भी बता दीजिएगा।' 'यह सेवक आपके साथ रहेगा "और देख रहे होना • इसके हाथ मे यह चमचमाती तलवार ?' 'हाँ । हा । देख रहा है, पर इसका तात्पर्य ? " 'इसका तात्पर्य यही है कि यह सेवक आपके साथ रहेगा और ज्यो ही कटोरे के तेल की एक भी वूद नीचे गिरी कि आपका सिर, घड से अलग कर दिया जाएगा। अब आप जा सकते है।' वह देव तेल का कटोरा दोनो हाथो पर रखे चला जा रहा या। कटोरा लबालब भरा हुआ था। सीढियो पर चढ़ना, उतरना, इधर उधर जाना कमी हमा-पर ध्यान सदैव उसका उस कटोरे पर, तेल पर ही रहा। घूम फिर कर वह देव शाम तक पाया। और प्रसन्नता के साध कटोरा मय तेल के ज्यो का त्यो रख दिया । वोला--- ____ 'देखा आपने मेरा काम । एक भी बू द नीचे नहीं गिरने दी। 'धन्यवाद ।' भरत जी मुस्कराए। दोले - 'अच्छा यह तो वताइए • आपने क्या-क्या देखा?' 'जी। 1 !' 'मेरा तात्पर्य यह है कि वैभव की चमक, रानिणे की झमका, कमरो की दमक आपको कैसी लगी?' ___वाह जीवाह । मेरा तो मारा ध्यान बटोरे मे गावं तेल पर रहा । यदि घर देखना और तेल की एक भी बूद गिर जाती सो गया था न वाम ने। 'अाप भी खूब है काम तो सौंप दिया ऐसा और अब पूछ रहे है" चमक, झमक और दमक का हान।'
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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