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________________ ( १५३ ) पर सम्मान भी हो । मेरी सम्मति मे तो यह सम्बन्ध चक्रवर्ती के साथ हो जाना श्रेयकर होगा। नहीं । नहीं । यह उचित नही "बीच मे दूसरे मत्री सिद्धार्थ ने कहा। ' सुलोचना एक सुकुमारी है और भरत वृद्ध हो चुके । यह तो निरी अनमेल सम्मति है। भरत तो क्या, अपितु यह सम्बन्ध तो उनके पुत्र अर्ककीति के साथ भी नही होना चाहिए । 'क्यो ? ? ?' एक मत्री ने पूछा। 'क्योकि-विवाह-सम्बन्ध सदैव बरावर वालो से ही करना चाहिये ? चक्रवर्ती का वैभव, वडम्पन और विशाल परिवार यह सब हमारे समक्ष अन्यन्य महति वात है। विवाह सम्बन्ध वास्तविक स्नेह के लिये होता है और स्नेह बराबर वाले से ही प्राप्त हो सकता है। अकाट्य सम्मति को सुनकर सभी मत्री चुप हो गए। तब तीसरे मत्री ने पूछा 'तब बताइये । आपकी राय मे किसके साथ यह सम्बन्ध किया जाय?' ___ इस प्रश्न को सुनकर सिद्धार्थ नामक मत्री ही ने सोचकर उत्तर दिया 'सम्बन्ध किसके साथ किया जाय - यह तो किसी ज्योतिपी से पूछकर शकुन मिलाकर जाना जा नकता है। हाँ लडके मैं बता सकता हूँ। और वे हैं--प्रभजन, स्थवर, बाल, बज्रायुध और ज्यकुमार । ये सभी राजपुत्र है, योग्य है, और सुलोचना के लायक भी है।' ___ 'इसपे हमारी कोई विशेष शान नहीं रहने को।'' बीच मे ही चौधे मत्री 'साय' ने अडयन डाली। उसने अपनी नम्मति प्रकट करते हुए कहा____ 'भूमि गोचरियो के साथ तो हमारा पहले ही खूब सम्बन्ध
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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