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________________ ( १५२ ) अपनी सुन्दरता, श्रेष्ठता और उच्चता की विजयध्वजा फहराता हुप्रा शोभाग्यमान हो रहा था । यह भवन यहा के धार्मिक, योग्य, राजनीति मे श्रेष्ठ श्रोर महान विचारक राजा यकम्पत का विश्राम भवन था । आज इमो भवन के एक कक्ष में राजा अकम्पन प्रात की रमणीक स्वच्छ, शीतल मन्द पवन का श्राश्वदन ले रहे थे तभी उनकी कमल नयनी सुन्दर और शील को खान पुत्रो 'सुलोचना' ने प्रवेश किया था । जो अभी धमी मन्दिर से अपनी पूजा भक्ति से निवृत्त होकर आई थी। राजा अकम्पन की महारानी 'प्रभा' भी विशाल हृदय र घोर ताज्ञान् लक्ष्मी थी । इसी की उत्तम कुक्षी से सुलोचना ने जन्म लिया था । I वहुत मोच विचार के पश्चात् राजा कपन ने अपने चारो सुयोग्य, ज्यानिक सम्मति देने वाले मन्नियों को दुनाया। जब मव मत्री आ गए तो राजा ने एक ही प्रश्न उनके सामने रखा 'सुलोचना के लिए योष वर कौन है ?" इस प्रश्न को सुनकर सभी मनी चीक उठे। उन्हें प्त ने भी यह सम्भावना नहीं यी कि ग्राम विषय पर चर्चा होगी। और नाज तर इन विषय पर चर्चा हुई भी नहीं पी । नर एक महाराज ने उन प्रश्न -- 'दृष्टिचप फोन ११ एखादे गा च "भाजपा जिसमे आपण का जन्म और ए
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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