SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्यान इक्कीसवाँ बाइसवाँ विपय योग अर्थात् प्रवृत्ति आत्म- प्रदेश में आन्दोलन किससे होता है योग- स्थानक प्रदेश- बंध उन्नीस प्रकृति बध भी योगबल से ही होता है कर्मों की मूल प्रवृत्तियाँ आयुष्य-कर्म का बन्ध कब और कैसे होता है सार्थवाह के पुत्रों की कथा आठ कर्म ( १ ) आठ कर्मों का यह क्रम क्यों ज्ञानावरणीय कर्म दर्शनावरणीय कर्म वेदनीय कर्म मोहनीय कर्म चावा जी की बात क्रोध मान माया लोभ आठ कर्म ( २ ) आयुष्य कर्म मौत चाहनेवाले लकड़हारे की कथा नामकर्म गोत्रकर्म अन्तरायकर्म पृष्ठ २९२ २९३ २९३ २९४ २९४ २९५ २९६ ३०० ३०७ ३०८ ३०९ ३१२ ३१४ ३१६ ३१८ ३२२ ३२२ ३२२ ३२३ ३२७ ३२७ ३२८ ३३० ३३७ ३३८
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy