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________________ अठारह व्याख्यान विषय पृष्ठ चक्रवर्ती का भोजन २३१ सोलहवाँ आत्मसुख (२) २३३ मेढकों से धढा करनेवाले बनिये का दृष्टान्त २३५ पंडित और रबारी २३९ दान में दिया हुआ धन ही आपका है, इस पर नगर-सेठ का दृष्टान्त २४३ आत्मसुख का अनुभव कब होता है २४५ दूसरा खण्ड : कर्म सतरहवाँ कर्म की पहचान २४९ ठनठनपाल की बात २५७ अठारहवाँ , कर्म की शक्ति २६० ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती को कथा २६३ चिलातीपुत्र का चमत्कारिक चरित्र उन्नीसवाँ कर्म-बन्धन २७३ मूर्त कर्मों का अमूर्त आत्मा पर असर होता है ર૭૭ नवतत्त्व और कर्मवाद ૨૭૮ धर्मी कितने हैं २८१ कर्म-बन्धन के कारण २८३ मिथ्यात्व २८४ अविरति कषाय २८७ कर्म-कन्ध के प्रकार २८७ चीसवाँ योगबल २६५ २८५ २८६ योग २९१
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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