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________________ आत्मा का खजाना १२१ कुछ देर बाद गांव के लोग मराय पर इकटठे हुए। तब प्रश्न यह खडा हुआ कि, इसे स्मशान कौन पहुँचाये ? मुसाफिर बिलकुल अनजान था, उसका कोई सगा-सम्बन्धी वहाँ था नहीं। इसलिए सब लोगो ने उसमे कहा कि 'तुम इसे स्मनान पहुँचा दो', उस वक्त मंत्री को दूमरी अक्ल याद आयो कि 'पॉच आदमी कहे सो करना ।' इसलिए, मत्री उमको कवे पर उठाकर स्मशान ले गया, उमे अग्निदाह देने से पहले उसका शरीर देखा तो कमर मे एक चमनी बंधी मिली। वह अशर्फियो से भरी हुई थी। मत्री ने वह निकाल ली और मुर्दे को अग्निदाह किया । इस तरह दूसरी अक्ल फली देखकर, मत्री के आनन्द का पार नहीं रहा । अग्निटाह देने के बाद वह स्नान करने के लिए नदी पर गया । वहाँ घाट पर बहुत से लोग नहा रहे थे। उस वक्त तीसरी अक्ल याद आयी कि, 'नहाँ सत्र स्नान करते हो वहाँ स्नान न करना' । इसलिए, घाट से थोड़ी दूर पर एक अच्छी जगह हूँढ ली। झटपट स्नानादि क्रिया पूरी करके सुधा मिटाने के लिये गॉव की तरफ चला । कुछ दूर जाने परउमे बसनी याद आयी । स्नान करते वक्त उसने उसे नदी के किनारे पर रख दी थी पर जल्दी में लेना भूल गया । 'बसनी का क्या हुआ होगा --यह सोचकर वह बडा घबराया दौड कर नदी किनारे पहुँचा। वहाँ बसनी ज्यों-की-त्यो पडी हुई थी। यह देख कर उसको जान-मे-जान आयी। इस तरह तीसरी अक्ल भी फरदायक बनी। उसके लिए वह दुकानदार का आभार मानने लगा। कुछ दिनो के बाद वह घर पहुंचा और उत्साह के आवेश में स्वय अनुभव की हुई सारी बात अपनी पत्नी को बतला दी। उस वक्त उसे ख्याल न रहा कि, वह चौथी अक्ल को भग कर रहा है। तिस पर उसने चे बीज भी पत्नी को दे दिये। दूसरे दिन सुबह वह राजदरबार में गया। राजा ने उसका स्वागत करके कुगल-समाचार पूछा । नायब-मत्री को यह अच्छा नहीं लगा | कैसे
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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