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________________ श्रात्मतत्व- विचार " पर यहाँ साथ किसका किया जाये ? कुछ देर विचार नजदीक पडा हुआ एक साही तरह होता है । उसके चारो खाने वगैरह के लिए वह मुँह बाहर निकालता १२० अकेला नहीं जाना करके उसने इधर-उधर देखा तो बाड के नजर आया । साही (पशु) गोल गेंद की तरफ तीक्ष्ण काटे होते है । है, वर्ना छिपाये रखता है । 'जत्र दूसरा और कोई साथ नहीं मिलता, तो यह साही ही क्या बुरा है ? यह भी तो जीव है । यह सोच कर मंत्री ने उसे थैले में डाला और सफर शुरू कर दिया | शाम के वक्त जब वह एक झाडी के सामने आया, तो बहुत थका हुआ था। सोने का विचार करके वह एक पेड़ के नीचे लेट गया । वहाँ उसे साही याद आया । अगर उसे खुला छोड दे, तो फिर पता लगाना मुस्किल हो जाये । इसलिए, थैले में से रस्मी निकाल कर उसने उससे साही का एक पैर बॉथा और दूसरे सिरे से अपना पैर बॉबा । इससे साही आजादी मे हिर फिर तो सकना था पर भाग जानासम्भव न था । फिर, वह पडते ही खुर्राटों की नीट सोने लगा ! I सुबह उठकर देखा तो भयंकर दृश्य दिखायी दिया। थोडी दूर पर देखा कि, एक काला नाग लोहूलुहान हालत में निष्प्राण पडा है । और उसकी पूँछ साही के मुँह मे है । यह देखकर मंत्री समझ गया कि, रात मेरा काल आ पहुँचा था पर इस साही ने उससे लडकर मुझे बचा लिया । उस वक्त उसने उस दुकानदार की दी हुई अक्ल के लिए आभार माना और भविष्य में उसी के अनुसार बर्तने का निर्णय किया । शाम को एक गाँव मे पहुॅचा । वहॉ सराय में उतरा और अपनेसरीखे अनेक मुसाफिरो के साथ सो रहा। सुबह उठकर देखा कि, एक के सिवाय बाकी सब मुसाफिर उठकर चले गये थे । मालूम करने पर विदित हुआ कि, वह न उठने वाला मुसाफिर रात्रि मे मृत्यु को प्राप्त हो गया है ।
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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