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________________ अपश्चिम तीर्थकर महावीर 216 गर्जना से पूरे ब्रह्माण्ड को कम्पायमान करने वाला, यमराज (कृतान्त) की तरह व्यन्तरों को भयभीत करता हुआ, महान पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए ज्योतिषी देवों को कम्पायमान करता हुआ, सूर्य-चन्द्र मण्डल का उल्लंघन करके शक्र मण्डल में प्रविष्ट हुआ । उस भयंकर आकृतिवाले, वेग से आते हुए चमरेन्द्र को देखकर किल्विषी देव त्रस्त हुए, आभियोगिक देव त्रास पाने लगे। सेनापति देव अपनी सेना सहित शीघ्र पलायन कर गये । सोम और कुबेर नामक प्रमुख दिक्पाल वहां से भाग खड़े हुए। उस समय उस चमरेन्द्र को एकाएक आया देखकर सामानिक देवों ने चिन्तन किया कि यह असुर है या और कोई? इस प्रकार क्रोध और विस्मय से चमरेन्द्र को देखने लगे तब चमरेन्द्र ने एक पैर पद्मवेदिका पर और एक पैर सुधर्मा सभा में रखा'। पैर रखते ही इन्द्र कील' पर तीन बार परिघ से चोट मारी और भौहों को टेढ़ी करके इन्द्र से बोला- अरे बहुत देवता तेरी खुशामद करते हैं इसलिए तूं ऊपर बैठा शासन कर रहा है। अब मैं तुझे शीघ्र ही नीचे गिरा दूंगा। आज तक तूने जबरदस्ती शासन किया है । चमरचंचा नगरी के स्वामी और विश्वविख्यात पराक्रम वाले चमरासुर के बल को क्या तूं नहीं जानता? शक्रेन्द्र इन अपूर्वश्रुत वचनों को श्रवण कर हास्य और विस्मय को प्राप्त हुआ । तदनन्तर अवधिज्ञान से चमरेन्द्र को जानकर बोला- अरे ! चमर, तूं भाग जा । ऐसा कहकर भृकुटि चढ़ाई और प्रलयकाल की अग्नि और दड़वानल के समान भयंकर धधकती ज्वालाओं वाला वज्र हाथ में लेकर चमर पर छोड़ा । वह वज्र तड़तड़ शब्द करता हुआ, देवों को भयभीत बनाता हुआ चमरेन्द्र की ओर वेग से चला। सूर्य के तेज को उलूक देखने में असमर्थ होता है वैसे ही वज्र को आते हुए देखा तो उसका सिर नीचा हो गया और पैर ऊँचे होने लगे तब वह भयभीत होकर भगवान् महावीर की शरण में जाने को तत्पर हुआ और लघुकाय बनकर दौड़ने लगा। तब देवता उसे दौड़ते हुए देखकर हंसने लगे और वोले अरे सुराधम ! गरुड़ के साथ जैसे सर्प युद्ध करने की इच्छा करता है वैसे ही तूं हमारे इन्द्र के साथ युद्ध करने आया था अव कायर वनकर भाग रहा है। आया तो बहुत लम्बा - चौड़ा शरीर बनाकर और अब छोटी-सी काया बनाकर
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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