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________________ ३५२ एक बार उसने ऐसी ही एक दावत दी । इस बार उसने वडा भारी समारोह तथा ठाट बाट किया । उसने ग्रपनी 'श्रमिक पत्नी - सखी' ल्युसी को भी बुलाया । फनी हीरे माणिक और नीलम के चमकते गहने पहन कर सबके बीच बैठी । फिर उसने सब को सुनाते हुए ल्युसी से पूछा "माई डियर ल्युसी, ये सब जेवर तुमने देखे ? मेरे ये हीरे जब धुंधले पड जाते है या मैले हो जाते है तो उन्हे साफ करने के लिए मै पेरिस से केमिकल मँगाती हूँ । माणिक साफ करने के लिए स्पेशल सोल्युशन वेनिस से आता है । नीलम की सफाई के लिए 'डिलक्स लिक्विड' ठेठ न्यूयार्क (अमेरिका) से मँगाती हूँ । हा तो बहून, तुम अपने गहनो की सफाई कैसे करती हो ?" वहाँ बैठे हुए सब लोग समझ गये कि सब के बीच नकली गहने पहन कर ठाट से बैठी हुई ल्यूसी को शर्मिन्दा करने के लिए ही फेनी ने यह प्रश्न पूछा था । परन्तु ल्युसी बडी चतुर थी । उसके चेहरे पर शर्मिन्दगी विल्कुल नही आई। उसने हँसते हँसते वडे मजे मे ऐसा जवाब दिया कि सुन कर फ्रेनी की जवान बन्द हो गई । वह जवाब इस प्रकार है 1 "श्री माई डियर फ्रेनी, मै तो ऐसे धोने वोने के झट मे पडती ही नही । मले होने पर फेक ही देती हू । I just thiow them out" यह एक विनोदपूर्ण व्यग है । पहली निगाह मे हमे इसमे ल्यूसी की बुद्धिमत्ता तथा हाजिर जवाबी के दर्शन होते है । परन्तु इसमे इतना ही नही है । हम जीवनविषयक जो चर्चा
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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