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________________ ८५ यदि किसी एक ही मनुष्य के बारे मे ऐसी परस्पर विरोधी वाते कोई कहे तो उसमे से हम सत्य किसे कहेगे ? लेकिन जहाँ तक मिस्टर जोन्स का सबध है, उसके जीवन मे हमे परस्पर विरोधी सभी लक्षण दिखाई देगे । यह बात सावित करने में हमे कोई कठिनाई न होगी। मिस्टर जोन्स को,भिन्न-भिन्न दशा मे, भिन्न-भिन्न स्थानो पर, भिन्न-भिन्न अवसरो पर, भिन्न-भिन्न सयोगो मे और भिन्न-भिन्न व्यक्तियो के साथ विलकुल विपरीत वर्ताव करते हुए हम देख पायेगे। पत्नी के प्रति प्रेममय और नौकरानी के प्रति क्रूर वर्ताव करते हुए ऐसे जोन्स बहुत से देखने को मिलेगे। हम उसे उपरोक्त सभी परस्पर विरोधी गुणो के अनुसार बर्ताव करते हुए पायेगे । ठीक इसी तरह द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा से "उनका वर्ताव परस्पर विरोधी है" ऐसा विधान हम बहुत से मनुष्यो के सम्बन्ध में अवश्य कर सकेगे। इसी तरह, उस प्रत्येक गुण के सम्बन्ध मे जब अलगअलग बात करनी होगी तव मिस्टर जोन्स के सारे व्यवहारो का अलग-अलग वर्णन करते समय मिस्टर जोन्स "अच्छा यादमी ", "मिस्टर जोन्स बुरा आदमी है" ऐसी अलगप्रलग और भिन्न-भिन्न वाते भी हम कह सकेगे। स्याद्वाद और सप्तभगी का जव आगे उल्लेख किया जाएगा, तव मि० जोन्स का उदाहरण, उन विषयो को समझने के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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